जनकराज किशोरीशरण

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
मेघा (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:15, 31 जुलाई 2011 का अवतरण ('जनकराज किशोरीशरण अयोध्या के एक वैरागी थे और [[संवत्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

जनकराज किशोरीशरण अयोध्या के एक वैरागी थे और संवत् 1797 में वर्तमान थे। इन्होंने भक्ति, ज्ञान और रामचरित संबंधित बहुत सी कविता की है। कुछ ग्रंथ संस्कृत में भी लिखे हैं। हिन्दी कविता साधारणत: अच्छी है। इनकी पुस्तकों के नाम ये हैं -

  1. आंदोलनरहस्य दीपिका,
  2. तुलसीदासचरित्र,
  3. विवेकसार चंद्रिका,
  4. सिध्दांत चौंतीसी,
  5. बारहखड़ी,
  6. ललित श्रृंगार दीपक,
  7. कवितावली,
  8. जानकीशरणाभरण,
  9. सीताराम सिध्दांतमुक्तावली,
  10. अनन्यतरंगिणी,
  11. रामरसतरंगिणी,
  12. आत्मसंबंधदर्पण,
  13. होलिकाविनोददीपिका,
  14. वेदांतसार,
  15. श्रुतिदीपिका,
  16. रसदीपिका,
  17. दोहावली,
  18. रघुवर करुणाभरण।
  • इन्होंने राम सीता के श्रृंगार, ऋतु विहार आदि के वर्णन में ही भाषा कविता की है -

फूले कुसुम द्रुम विविधा रंग सुगंधा के चहुँ चाब।
गुंजत मधुप मधुमत्ता नाना रंग रज अंग फाब
सीरो सुगंधा सुमंद बात विनोद कंत बहंत।
परसत अनंग उदोत हिय अभिलाष कामिनिकंत


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख