अखिल भारतीय किसान सभा

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1923 ई. में 'स्वामी सहजानंद सरस्वती' ने 'बिहार किसान सभा' का गठन किया। 1928 ई. में 'आंध प्रान्तीय रैय्यत सभा' की स्थापना एन.जी. रंगा ने की। उड़ीसा में मालती चैधरी ने 'उत्तकल प्रान्तीय किसान सभा' की स्थापना की। बंगाल में 'टेंनेंसी एक्ट' को लेकर अकरम ख़ाँ, अब्दुर्रहीम, फ़जलुलहक, के प्रयासों से 1929 ई. में 'कृषक प्रजा पार्टी' की स्थापना हुई।

स्थापना

अप्रैल, 1935 ई. में संयुक्त प्रान्त में 'किसान संघ' की स्थापना हुई। इसी वर्ष एन.जी. रंगा एवं अन्य किसान नेताओं ने सभी प्रान्तीय किसान सभाओं को मिलाकर एक 'अखिल भारतीय किसान संगठन' बनाने की योजना बनाई। अपने इसी उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए किसान नेताओं ने 11 अप्रैल, 1936 ई. को लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना की। स्वामी सहजानन्द सरस्वती इसके अध्यक्ष तथा प्रो. एन.जी. रंगा इसके महासचिव चुने गए। अखिल भारतीय किसान सभा को जवाहर लाल नेहरू ने भी सम्बोधित किया था। इस अधिवेशन में 1 सितम्बर, 1936 ई. को 'किसान दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय किया गया। फ़ैजपुर में कांग्रेस सम्मेलन के समय उसके समानान्तर होने वाले अखिल भारतीय किसान आन्दोलन की अध्यक्षता एन.जी. रंगा ने की।

प्रमुख नेता

इस सम्मेलन में भू-राजस्व की दर 50 प्रतिशत कम करने तथा किसान संगठनों को मान्यता देने की माँग रखी गई। इस सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले नेताओं में जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेन्द्र देव तथा कमल सरकार प्रमुख थे। किसान आन्दोलन को गति प्रदान करने तथा सक्रिय कार्यकर्ताओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से 1938 ई. में आंध्र प्रदेश के गण्टूर ज़िले मे निदुबोल में पहला 'भारतीय किसान स्कूल' खोला गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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