दु:ख -वैशेषिक दर्शन
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महर्षि कणाद ने वैशेषिकसूत्र में द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष और समवाय नामक छ: पदार्थों का निर्देश किया और प्रशस्तपाद प्रभृति भाष्यकारों ने प्राय: कणाद के मन्तव्य का अनुसरण करते हुए पदार्थों का विश्लेषण किया।
दु:ख का स्वरूप
गुणों में दु:ख की भी गणना की गई है। दु:ख साधारण: पीड़ा को कहते हैं, जिसको सामान्यत: कोई भी नहीं चाहता। न्यासूत्र में दु:ख की गणना बारह प्रमेयों में की गई है।