पारसी सुधार आन्दोलन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:21, 19 अगस्त 2011 का अवतरण ('*'''पारसी सुधार आन्दोलन''' के संस्थापक नौरोजी फरदोजी, [[द...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • पारसी सुधार आन्दोलन के संस्थापक नौरोजी फरदोजी, दादाभाई नौरोजी, आर.के. कामा और एस.एस. बंगाली थे।
  • इस आन्दोलन की शुरुआत वर्ष 1851 ई. में की गई थी।
  • इसका मुख्य उद्देश्य पारसी समुदाय की सामजिक अवस्था का पुनरुद्धार करना एवं पारसियों के धर्म में पुनः शुद्धता को प्राप्त करना था।
  • इस संस्था ने ‘रास्त-गोफ्तार’ (सत्यवादी) नामक पत्रिका का प्रकाशन किया।
  • पारसी समाज में सामाजिक तथा राजनीतिक जागृति फैलाने का पहला प्रयास बम्बई में प्रकाशित ‘बम्बई समाचार पत्र’ के माध्यम से हुआ।
  • संस्था ने पारसी समुदाय की स्त्रियों के कल्याण के लिए ढेर सारे काम किये।
  • पर्दा प्रथा को प्रतिबन्धित किया गया, विवाह की आयु में वृद्धि की गई, स्त्री शिक्षा की दिशा में बल दिया गया और कालान्तर में भारतीय समाज का पारसी समुदाय पाश्चात्य सभ्यता के सर्वाधिक नजदीक पहुँच गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख