जोरहाट

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
स्नेहा (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:04, 26 अगस्त 2011 का अवतरण ('{{tocright}} जोरहाट नगर पूर्वोत्तर असम राज्य में [[ब्रह्मप...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

जोरहाट नगर पूर्वोत्तर असम राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक धारा के किनारे स्थि है। यह एक सड़क व रेल जंक्शन है और उपजाऊ कृषि क्षेत्र का वाणिज्यिक केंद्र है। जोरहाट आभूषण निर्माण के लिए विख्याट है। जोरहाट असम कृषि विश्वविद्यालय स्थित है। जोरहाट पर चौकीहाट और माचरहाट नाम के दो बाज़ार हैं। इसी कारण इसका नाम जोरहट रखा गया है। जोरहाट पर विभिन्न संस्कृतियों और जातियों से जुडे लोग रहते हैं। जिनमें हिन्दू, मुस्लिम, पंजाबी, बिहारी और मारवाडी प्रमुख हैं।

इतिहास

  • जोरहाट की स्थापना 18 वीं सदी के अन्तिम दशक में हुई थी।
  • 18 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में यह नगर स्वतंत्र अहोम राज्य की राजधानी था; ताई भाषा बोलने वाले अहोम लोगों ने लगभग पहली शताब्दी में चीन के युन्नान क्षेत्र से देशांतरण किया था।
  • जोरहट को 1983 ई. में पूर्ण रूप से ज़िला घोषित किया गया था।

शिक्षण संस्थान

अन्य शैक्षणिक संस्थानों में जोरहाट इंजीनियरिंग कॉलेज, इंस्टिट्यूट ऑफ़ रेन ऐंड मॉयस्ट डेसिडुअस फ़ॉरेस्ट रिसर्च, कॉलेज ऑफ़ वेटनरी साइंस और कॉलेज ऑफ़ फ़िशरीज शामिल हैं।

पर्यटन

जोरहाट में मुख्यत: वैष्णव धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। जोरहाट पर वैष्णव धर्म से जुड़े अनेक मठ और सतरा भी बने हुए हैं।

मजूली

यह वैष्णव धर्म का सबसे बडा तीर्थस्थान है। मजूली में वैष्णव धर्म के औनिआती, दक्षिणपथ, गारामूर और कमलाबाडी जैसे अनेक तीर्थस्थान हैं। इन तीर्थस्थानों को यहां के लोग सतरा पुकारते हैं।

दक्षिणपथ सतरा

दक्षिणपथ सतरा की स्थापना बनमालीदेव ने की थी। सतरा के साथ उन्होंने रासलीला की शुरूआत भी की थी। यहां पर हरेक साल रासलीला का आयोजन किया जाता है।

औनियाती सत्तरा

इसकी स्थापना निरंजन पाठकदेव ने की थी। यह सतरा अपने पालनाम और अप्सराओं के नृत्य के लिए प्रसिद्ध है। इसमें पर्यटक प्राचीन असम के बर्तनों, आभूषणों और हस्त निर्मित वस्तुओं को भी देख सकते हैं।

कमलाबाडी सतरा

बेदुलापदम अता ने इस सतरा की स्थापना की थी। यह सतरा वैष्णव धर्म का मुख्य तीर्थस्थान है। तीर्थस्थान होने के साथ ही यह कला, साहित्य, शिक्षा और संस्कृति का मुख्य केन्द्र भी है। इसकी एक शाखा भी है। इस शाखा का नाम उत्तर कमलाबाडी है। यह सतरा भारत और विश्व के अलग-अलग भागों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन करते हैं।

बेंगेनाती सतरा

इस सतरा की स्थापना मुरारीदेव ने की थी। यहां पर पर्यटक असम की संस्कृति से जुडी प्राचीन व दुलर्भ वस्तुओं का संग्रह देख सकते हैं। इन वस्तुओं में अहोम शासक स्वर्गदेव गदाधर सिंह के राजसी वस्त्र और उनका शाही छाता प्रमुख हैं। यह दोनों वस्तुएं सोने से बनी हुई है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख