बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-5 ब्राह्मण-3 से 4

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रेणु (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:26, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण ('*बृहदारण्यकोपनिषद के [[बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-5|अ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • बृहदारण्यकोपनिषद के अध्याय पांचवाँ का यह तीसरा और चौथा ब्राह्मण है।
  • इन दोनों ब्राह्मणों में 'हृदय' और 'सत्य' का विश्लेषण संक्षिप्त रूप से किया है।
  • यह हृदय प्रजापति है।
  • इसके तीन अक्षरों का अर्थ- 'हृ' से हरणशील है, अर्थात यह कहीं से भी अभीष्ट पदार्थ का हरण करता है।
  • 'द' अक्षर का अर्थ दान से है और 'यम्' अक्षर का अर्थ गाति से हैं यह जानने वाला स्वर्ग को प्राप्त करता है।
  • यह हृदय ही सत्य-स्वरूप 'ब्रह्म' है।
  • जो इस प्रकार जानता है, वह समस्त लोकों को जीत लेता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख