छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-1

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  • साम की पंचविध और सप्तविध उपासनाएं-
  • इस खण्ड में साम की सम्पूर्ण उपासना को श्रेष्ठ बताया गया है।
  • संसार में जो कुछ भी श्रेष्ठ है, वह 'साम' है।
  • इस प्रकार जो साम की उपासना करते हैं, उन्हें श्रेष्ठ धर्म की शीघ्र प्राप्ति होती है।


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