छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-15
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- छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय दूसरा का यह पन्द्रहवाँ खण्ड है।
मुख्य लेख : छान्दोग्य उपनिषद
- वर्षा (पर्जन्य) के साम-रूप की उपासना से साधक विरूप और सुरूप पशुओं का स्वामी होता है और पूर्ण आयु को भोगता है।
- अत: बरसते मेघों की कभी निन्दा नहीं करनी चाहिए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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