छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-16

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रेणु (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:16, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण ('*छान्दोग्य उपनिषद के [[छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2|अध...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • वसन्त ऋतु में वैराज साम को अधिष्ठित मानकर उपासना करने से सुसन्तति, पशु-सम्पदा और ब्रह्मतेज प्राप्त होता है।
  • अत: ऋतुओं की कभी निन्दा नहीं करनी चाहिए।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख