शिवसहाय दास
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:47, 14 अक्टूबर 2011 का अवतरण (Text replace - "Category:रीति काल" to "Category:रीति कालCategory:रीतिकालीन कवि")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
- रीति काल के कवि शिवसहाय दास जयपुर के रहने वाले थे।
- इन्होंने संवत 1809 में 'शिव चौपाई' और 'लोकोक्ति रस कौमुदी' दो ग्रंथ बनाए।
- 'लोकोक्ति रस कौमुदी' में विचित्रता यह है कि कहावतों को लेकर नायिका भेद कहा गया है -
करौ रुखाई नाहिंन बाम। बेगिहिं लै आऊँ घनस्याम
कहै पखानो भरि अनुराग। बाजी ताँत की बूझ्यो राग
बोलै निठुर पिया बिनु दोस। आपुहि तिय बैठी गहि रोस
कहै पखानो जेहि गहि मोन। बैल न कूद्यौ, कूदी गोन
|
|
|
|
|