अप्रैल फ़ूल दिवस

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
DrMKVaish (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:04, 21 अक्टूबर 2011 का अवतरण
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
अप्रैल फूल दिवस अर्थात् मूर्ख दिवस

अप्रैल फूल दिवस अर्थात् ‘मूर्ख दिवस’ को पहली अप्रैल के दिन विश्वभर में मौज-मस्ती और हंसी-मजाक के साथ एक-दूसरे को मूर्ख बनाते हुए मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने मित्रों, पड़ोसियों और यहां तक कि घर के सदस्यों से भी बड़े ही विचित्र प्रकार के हंसी-मजाक, मूर्खतापूर्ण कार्य और धोखे में डालने वाले उपहार देकर आनंद लेते हैं।

ऑल फूल्स डे के रूप में जाना जाने वाला यह दिन, 1 अप्रैल एक आधिकारिक छुट्टी का दिन नहीं है लेकिन इसे व्यापक रूप से एक ऐसे दिन के रूप में जाना और मनाया जाता है जब एक दूसरे के साथ व्यावाहारिक मजाक और सामान्य तौर पर मूर्खतापूर्ण हरकतें की जाती हैं। यह दिन मूर्ख बनकर या मूर्ख बनाकर भी मन को सुख देता है। यही अनूठा भाव ही इसकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है। मूर्ख बनने या बनाने का अर्थ ठगने या ठगाने से नहीं है वरन इसका संबंध थोडा-सा सुख और आनंद पाने की उन मानवीय भावनाओं से है, जिसके लिये हर व्यक्ति जीवन में दिन-रात जूझता है।

एक अप्रैल को किसी भी मित्र को मूर्ख बनाने का अपना अलग ही मजा है। कई बार तो मूर्ख बनने वाले को काफी कष्ट भी पहुंचता है। दौड़-धूप और काफी खर्च करने के पश्चात् ही वह बेचारा समझ जाता है कि उसे ‘अप्रैल फूल’ बनाया गया है। लेकिन दोस्तो आप लोग इस बात का ख्याल रखें कि आपके मजाक से किसी का बुरा न हो जाए।

मूर्ख दिवस के विषय में लोककथाएं

मूर्ख दिवस के विषय में संसार में कई लोककथाएं प्रचलित हैं। हर कथा का मूल उद्देश्य है पूरे दिन को मनोरंजन के साथ व्यतीत करना। आइए आपको इस दिवस की कुछ कथाओं की जानकारी से अवगत कराते हैं।

बहुत पहले यूनान में मोक्सर नामक एक मजाकिया राजा था। एक दिन उसने स्वप्न में देखा कि किसी चींटी ने उसे जिंदा निगल लिया है। सुबह उसकी नींद टूटी तो स्वप्न ताजा हो गया। स्वप्न की बात पर वह जोर-जोर से हंसने लगा। रानी ने हंसने का कारण पूछा तो उसने बताया- ‘रात मैंने सपने में देखा कि एक चींटी ने मुझे जिन्दा निगल लिया है। सुन कर रानी भी हंसने लगी। तभी एक ज्योतिष ने आकर कहा, महाराज इस स्वप्न का अर्थ है- आज का दिन आप हंसी-मजाक व ठिठोली के साथ व्यतीत करें। उस दिन अप्रैल महीने की पहली तारीख थी। बस तब से लगातार एक हंसी-मजाक भरा दिन हर वर्ष मनाया जाने लगा।

एक अन्य लोक कथा के अनुसार एक अप्सरा ने किसान से दोस्ती की और कहा- यदि तुम एक मटकी भर पानी एक ही सांस में पी जाओगे तो मैं तुम्हें वरदान दूंगी। मेहनतकश किसान ने तुरंत पानी से भरा मटका उठाया और पी गया। जब उसने वरदान वाली बात दोहराई तो अप्सरा बोली- ‘तुम बहुत भोल-भाले हो, आज से तुम्हें मैं यह वरदान देती हूं कि तुम अपनी चुटीली बातों द्वारा लोगों के बीच खूब हंसी-मजाक करोगे। अप्सरा का वरदान पाकर किसान ने लोगों को बहुत हंसाया, हंसने-हंसाने के कारण ही एक हंसी का पर्व जन्मा, जिसे हम मूर्ख दिवस के नाम से पुकारते हैं।

बहुत पहले चीन में सनन्ती नामक एक संत थे, जिनकी दाढ़ी जमीन तक लम्बी थी। एक दिन उनकी दाढ़ी में अचानक आग लग गई तो वे बचाओ-बचाओ कह कर उछलने लगे। उन्हें इस तरह उछलते देख कर बच्चे जोर-जोर से हंसने लगे। तभी संत ने कहा, मैं तो मर रहा हूं, लेकिन तुम आज के ही दिन खूब हंसोगे, इतना कह कर उन्होंने प्राण त्याग दिए।

उन दिनों स्पेन के राजा माउन्टो बेर थे। एक दिन उन्होंने घोषणा कराई कि जो सबसे सच्च झूठ लिख कर लाएगा, उसे ईनाम दिया जाएगा। प्रतियोगिता के दिन राजा के पास ‘सच्च झूठ’ के हजारों खत पहुंचे, लेकिन राजा किसी के खत से संतुष्ट नहीं थे, अंत में एक लड़की ने आकर कहा ‘महाराज मैं गूंगी और अंधी हूं’। सुन कर राजा चकराया और पूछा ‘क्या सबूत है कि तुम सचमुच अंधी हो, तब तेज-तर्राट किशोरी बोली महल के सामने जो पेड़ लगा है, वह आपको तो दिखाई दे रहा है, लेकिन मुझे नहीं।’ इस बात पर राजा खूब हंसा। उसने किशोरी के झूठे परिहास का ईनाम दिया और प्रजा के बीच घोषणा करवाई कि अब हम हर वर्ष पहली अप्रैल को मूर्ख दिवस का दिन मनाएंगे। तब से आज तक यह परम्परा चली आ रही है।

इसा पूर्व एथेंस नगर में चार मित्र रहते थे। इनमें से एक अपने को बहुत बुद्धिमान समझता था और दूसरों को नीचा दिखाने में उसको बहुत मजा आता था एक बार तीनों मित्रों ने मिल कर एक चाल सोची और उस से कहा कि कल रात में एक अनोखा सपना दिखायी दिया। सपने में हमने देखा की एक देवी हमारे समाने खड़ी हो कर कह रही है कि कल रात पहाड़ी की चोटी पर एक दिव्य ज्योति प्रकट होगी और मनचाहा वरदान देगी इसलिए तुम अपने सभी मित्रों के साथ वहाँ जरूर आना अपने को बुद्धिमान समझने वाले उस मित्र ने उनकी बात पर विश्वास कर लिया। निश्चित समय पर पहाड़ की चोटी पर पहुँच गया साथ ही कुछ और लोग भी उसके साथ यह तमाशा देखने के लिए पहुँच गए। और जिन्होंने यह बात बताई थी वह छिप कर सब तमाशा देख रहे थे। धीरे धीरे भीड़ बढऩे लगी और रात भी आकाश में चाँद तारे चमकने लगे पर उस दिव्य ज्योति के कहीं दर्शन नहीं हुए और न ही उनका कहीं नामों निशान दिखा कहते हैं उस दिन 1 अप्रैल था बस फिर तो एथेंस में हर वर्ष मूर्ख बनाने की प्रथा चल पड़ी बाद में धीरे धीरे दूसरे देशों ने भी इसको अपना लिया और अपने जानने वाले चिर -परिचितों को 1 अप्रैल को मूर्ख बनाने लगे। इस तरह मूर्ख दिवस का जन्म हुआ।

विदेशों का अप्रैल फूल

भारत के अलावा विदेशों में भी लोग अपनी-अपनी संस्कृति के अनुसार ‘मूर्ख दिवस’ मनाते हैं। अप्रैल फूल दिवस पश्चिमी देशों में हर साल पहली अप्रैल को मनाया जाता है।

फ्रांस में ‘अप्रैल फूल’ के दिन मूर्खों, कवियों और व्यंग्यकारों का रोमांचक कार्यक्रम होता है। यह कार्यक्रम 7 दिनों तक लगातार चलता है। इस मनोरंजक कार्यक्रम में भाग लेने वाले युवक को युवती की ड्रेस पहननी पड़ती है। इस कार्यक्रम में अश्लीलता की झलक नहीं मिलती। मूर्ख बने व्यक्ति को ईनाम दिया जाता है।

चीन में ‘अप्रैल फूल’ के दिन बैरंग पार्सल भेजने और मिठाई बांटने की परंपरा है। इस दिन यहां के बच्चे खूब हंसते हैं। यहां के लोग जंगली जानवर के मुखौटे पहन कर आने-जाने वाले लोगों को डराते हैं। कई लोग तो सच में जानवर समझ कर डर जाते हैं।

रोम में ‘अप्रैल फूल’ को फ्रांस की भांति ही 7 दिनों तक मनाया जाता है और चीन की भांति बैरंग पार्सल भेज कर मूर्ख बनाया जाता है।

जापान में बच्चे पतंग पर इनामी घोषणा लिख कर उड़ाते हैं। पतंग पकड़ कर इनाम मांगने वाला ‘अप्रैल फूल’ बन जाता है।

इंग्लैंड में ‘अप्रैल फूल’ के दिन अत्यंत मनोरंजक एवं रोचक कार्यक्रम होते हैं। इस कार्यक्रम में मूर्खता भरे गीत गाकर, मूर्ख गायन करके मूर्ख बनाया जाता है।

स्कॉटलैंड में ‘मूर्ख दिवस’ को ‘हंटिंग द कूल’ के नाम से जाना जाता है। मुर्गा चुराना यहां की विशेष परंपरा है। मुर्गे का मालिक भी इसका तनिक बुरा नहीं मानता। किसी का मुर्गा चुरा कर मजा लूटना यहां के लोगों का ‘अप्रैल फूल’ मनाने का तरीका तो है ही, साथ ही नए-नए तरीके ढूंढ़ कर एक-दूसरे को भी बेवकूफ बनाते हैं।

स्पेन में इस परंपरा की शुरुआत यहां के पूर्व राजा ‘माउंटोबेट’ ने की थी। इस दिन बहुत हंसी-मजाक का कार्यक्रम चलता है। झूठे इतिहास पर इनाम भी दिया जाता है।

इतिहास

पारंपरिक तौर पर कुछ देशों जैसे न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इस तरह के मजाक केवल दोपहर तक ही किये जाते हैं, और अगर कोई दोपहर के बाद किसी तरह की कोशिश करता है तो उसे "अप्रैल फूल" कहा जाता है। ऐसा इसीलिये किया जाता है क्योंकि ब्रिटेन के अखबार जो अप्रैल फूल पर मुख्य पृष्ठ निकालते हैं वे ऐसा सिर्फ पहले (सुबह के) एडिशन के लिए ही करते हैं। इसके अलावा फ्रांस, आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में जोक्स का सिलसिला दिन भर चलता रहता है।

1 अप्रैल और मूर्खता के बीच सबसे पहला दर्ज किया गया संबंध चॉसर के कैंटरबरी टेल्स (1392) में पाया जाता है। ब्रिटिश लेखक चौसर की किताब द कैंटरबरी टेल्स में कैंटरबरी नाम के एक कस्बे का जिक्र है। इसमें इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च 1381 को होने की घोषणा की जाती है, जिसे कस्बे के लोग सही मानकर मूर्ख बन जाते हैं। तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाता है।

बहुत से लोगो का मानना है की अप्रैल फूल की शुरुवात 17वीं सदी से हुई, परन्तु पहली अप्रैल को 'फूल्स डे' के रूप मे माना जाना और लोगो लोगों के साथ हंसी मज्ज़ाक करने का सिलसिला सन 1564 के बाद फ्रांस से शुरू हुआ। इस परंपरा की शुरुवात की कहानी बड़ी ही मनोरंजक है। 1564 से पहले यूरोप के लगभग सभी देशों मे एक जैसा कैलेंडर प्रचलित था, जिसमे हर नया वर्ष पहली अप्रैल से शुरू होता था। उन दिनों पहली अप्रैल के दिन को लोग नववर्ष के प्रथम दिन की तरह ठीक इसी प्रकार मनाते थे, जैसे आज हम पहली जनवरी को मनाते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को नववर्ष के उपहार देते थे, शुभकामनाए भेजते थे और एक दूसरे के घर मिलने को जाया करते थे। सन 1564 मे वहां के राजा चार्ल्स नवं (CHARLES1X) ने एक बेहतर कैलेंडर को अपनाने का आदेश दिया। इस नए कैलेंडर मे आज की तरह पहली जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया था। अधिकतर लोगो ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने नए कैलेंडर को अपनाने से इंकार कर दिया था। वह पहली जनवरी को वर्ष का नया दिन न मानकर पहली अप्रैल को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे। ऐसे लोगो को मूर्ख समझकर नया कैलेंडर अपनाने वालो ने पहली अप्रैल के दिन विचित्र प्रकार के मज्ज़ाक और झूठे उपहार देने शुरू कर दिए और तभी से आज तक पहली अप्रैल को लोग 'फूल्स डे' के रूप मे मनाते हैं। आज के लोग इन पुरानी बैटन को तो भूल गए हैं, लेकिन पहली अप्रैल को फूल्स डे मनाना अभी तक नहीं भूले हैं। ये अब एक तरह से हर वर्ष आने वाले त्योहारों की ही तरह हमारे जीवन मे शामिल हो गया है।

रोम, मध्य यूरोप और हिंदू समुदाय में 20 मार्च से लेकर 5 अप्रैल तक नया साल मनाया जाता है। इस दौरान बसंत ऋतु होती है। जूनियल कैलेंडर ने एक अप्रैल से नया साल माना जोकि सन् 1582 तक मनाया गया। इसके बाद पोप ग्रेगी 13वें ने ग्रेगियन कैलेंडर बनाया। इसके अनुसार एक जनवरी को नया साल घोषित किया गया। कई देशों ने सन 1660 में ग्रेगीयन कैलेंडर स्वीकार कर लिया।

जर्मनी, दनिश और नार्वे में सन् 1700 और इंग्लैंड में 1759 में एक जनवरी को नए साल के रूप में स्वीकार किया गया। फ्रांस के लोगों को लगा की साल का पहला दिन बदलकर उन्हें मूर्ख बनाया गया है और पुराने कैलेंडर के नववर्ष को उन्होंने मूर्ख दिवस घोषित कर दिया।

अप्रैल फूल दिवस की एक बानगी देखें कि जीमेल (gmail) के 1 अप्रैल को लांच होने को एक मज़ाक समझा गया था, क्योंकि गूगल पारंपरिक तौर पर हर 1 अप्रैल को अप्रैल फूल्स डे के होक्स जारी करती है, और घोषित किया गया 1 जीबी का ऑनलाइन स्टोरेज उस समय मौजूदा ऑनलाइन ईमेल सेवा के लिए बहुत ही ज्यादा था।

मूर्ख दिवस का विरोध

अप्रैल के मूर्ख दिवस को रोकने के लिए यूरोप के कई देश में समय समय पर अनेक कोशिश हुई, लाख विरोध के बावजूद यह दिवस मनाया जाता रहा है। अब तो लोगों ने 1 अप्रैल को परम्परा के रूप में ले लिया। इस दिवस को मनाने वाले कुछ लोगों का कहना है कि इस को हम इसलिए मनाते हैं ताकि मूर्खता जो मनुष्य का जन्मजात स्वभाव है। वर्ष में एक बार सब आजाद हो कर हर तरह से इस दिवस को मनाये और इस दिवस पर जम कर हंसे। जिससे मन मस्तक में ऊर्जा का संचार पैदा हो।

कहावत है कि एक बार हास्य प्रेमी भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने बनारस में ढिंढोरा पिटवा दिया कि अमुक वैज्ञानिक अमुक समय पर चाँद और सूरज को धरती पर उतार कर दिखायेंगे। नियत समय पर लोगों की भीड़ इस अद्भुत करिश्मे को देखने को जमा हो गई। घंटो लोग इंतजार में बैठे रहे परन्तु वहाँ कोई वैज्ञानिक नही दिखायी दिया उस दिन 1 अप्रैल था, लोग मूर्ख बन के वापस आ गए।

अब तो पूरी दुनिया में ही अप्रैल-फूल का प्रचलन बढ़ चला है, सो भारत भी अछूता नहीं। हर कोई एक दिन पहले से ही तैयारी करने लगता है कि किसे-किसे मूर्ख बनाना है, और कैसे बनाना है। फ़िलहाल अप्रैल फूल दिवस का लुत्फ़ उठायें, पर किसी कि भावनाएं आहत करने से बचें। आपका दिन भी खूब मजे से गुजरे हंसते हंसाते।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख