मैडम तुसाद संग्रहालय

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मैडम तुसाद संग्रहालय (म्यूजियम)

मैडम तुसाद संग्रहालय लन्दन की मैरिलेबोन रोड पर स्थापित मोम की मूर्तियों का संग्राहलय हैं, इसकी अन्य शाखाऎ विश्व के प्रमुख शहरों मे हैं। इसकी स्थापना 1835 में मोम शिल्पकार मेरी तुसाद ने की थी। फ्रांस की एक कलाकार थीं मैरी तुसाद जो मोम की मूर्तियां बनाया करती थीं।

लंदन स्थिति मैडम तुसाद संग्रहालय विश्‍व का अनोखी जगह है। यहां विश्‍वभर की कई नामचीन हस्तियों के मोम के पुतले संग्रहित कर रखे गए हैं।

मैडम तुसाद संग्रहालय में चार सौ से ज़्यादा आदम क़द मूर्तियां हैं और इतनी सजीव लगती हैं कि कभी कभी देखने वालों को भ्रम हो जाता है। मैडम तुसाद संग्रहालय आज लंदन के विशेष पर्यटक स्थलों में शामिल है। लंदन के अलावा इस म्यूजियम की शाखा एम्सटर्डम, लास वेगास, न्यूयॉर्क, हांगकांग और शंघाई में भी है और हर साल लाखों की संख्या में दर्शक वहाँ जाते हैं। तुसाद के वैक्स म्यूजियम में हर वह शख्स आपको नजर आ जाएगा जो दुनियाभर में चर्चित है। खेल से लेकर राजनीति तक और फिल्मों से लेकर मॉडलिंग तक हर कोई।

मैडम तुसाद संग्रहालय का इतिहास

मैडम तुसाद संग्रहालय के वजूद में आने की कहानी काफी दिलचस्प है। 17वीं सदी में फ्रांस की क्रांति कामयाबी के आखिरी दौर में थी। फ्रांस की सेना ने कई युद्धबंदियों को कैद कर रखा था। यूरोप में घूमते हुए 1802 में वह लंदन पहुंचीं। फिर फ्रांस और ब्रिटेन की जंग हो गई और वह अपने देश जा ही नहीं पाईं। फिर वह वहीं बस गईं। इस कैद में मैरी गोजोल्‍स भी थी जो आगे चलकर इस म्‍यूजियम की जनक बनीं।

मेरी तुसाद का जन्म 1761 में फ़्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर में हुआ और नाम रखा गया मैरी ग्रौशॉल्ट्ज़। उनकी मां फ़िलिप कर्टियस नाम के एक डॉक्टर के यहां काम करती थीं जिन्हे मोम की आदम क़द मूर्तियां बनाने का शौक़ था। मैरी को मोम के पुतले बनाने का शौक था। उन्हें यह कला उनके मालिक डॉक्टर फिलिप से विरासत में मिली थी। तब मोम से बने अंगों का इस्‍तेमाल चिकित्सा जगत में होता था। डॉक्टर फिलिप ने अपनी विधा को आगे बढ़ाया और लोगों की आदमकद मूर्तियां भी बनानी शुरु कर दी।

मैरी को भी मोम के पुतले बनाने में बेहद दिलचस्पी थी उसने जल्द ही इस कला में महारथ हासिल कर ली। मैरी ने उस दौर की कई जानी-मानी शख्सियतों की मोम की मूर्तियाँ बनाई। लेकिन कुछ दिनों बाद ही डॉक्टर फिलिप की मौत हो गई। मरने से पहले डॉक्टर फिलिप ने अपना म्यूजियम मैरी के नाम कर दिया था। मैरी ने इस म्यूजियम को अपनी काबिलियत से और आगे बढ़ाया। वे धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ातीं गई। चौंतीस साल की उम्र में मैरी ने फ़्रान्सुआ तुसाद नाम के इंजीनियर से शादी कर ली और वो मैडम तुसाद के नाम से जानी जाने लगीं। अगले तैंतीस साल तक वो अपनी मूर्तियों का संग्रह लेकर देश विदेश घूमती रहीं और आख़िरकार 1835 में लंदन में आ बसीं। उन्होंने ब्रिटेन के अलग-अलग शहरों में अपनी प्रदर्शनी लगाई। 1835 में उन्होंने लंदन की बेकर स्ट्रीट में अपना पहला स्थाई म्यूजियम खोला। 1884 में इस म्यूजियम की जगह बदल दी गई और इसे मेरिलबोन रोड पर खोला गया। जहां आज भी यह मैडम टुसॉड्स वेक्स म्यूजियम के नाम से मौजूद है। सन 1850 में मैडम तुसाद का देहान्त हो गया। फिर उनके पोते जोज़फ़ रैंडल उनकी प्रदर्शनी को मैरिलेबोन रोड पर ले आए।

मैडम तुसाद संग्रहालय मे भारतीय

विश्व प्रसिद्ध इस म्यूजियम में धीरे-धीरे भारतीयों ने भी अपनी मौजूदगी दिखानी शुरु कर दी। सबसे पहले इस म्यूजियम में जगह बनाई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसके बाद इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सचिन तेंदुलकर ने।

मैडम तुसाद संग्रहालय में बॉलीवुड की हस्तियां भी पीछे नहीं रही। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, ऐश्वर्य राय, शाहरुख खान और अब सलमान खान इस म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहे हैं।


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