मानिनी सवैया

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
कात्या सिंह (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:30, 1 दिसम्बर 2011 का अवतरण (''''मानिनी सवैया 23 वर्णों का छन्द''' है। 7 जगणों और लघु ग...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

मानिनी सवैया 23 वर्णों का छन्द है। 7 जगणों और लघु गुरु के योग से यह छन्द बनता है। वाम सवैया का अन्तिम वर्ण न्यून करने से या दुर्मिल का प्रथम लघु वर्ण न्यून करने से यह छन्द बनता है। तुलसी और दास ने इसका प्रयोग किया है।

  • "प्रफुल्लित दास बसन्त कि फौज सिलीमुख भीर देखावति है।"[1]
  • "कहा भव भीर पड़ी तेहि धौं, बिचरै धरनी तिनसो तिन तोरे।"[2]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भिखारीदास ग्रं., पृष्ठ 244
  2. कवितावली, 6 : 49

धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 742।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख