सदस्य:रेणु/अभ्यास2

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रेणु/अभ्यास2
निर्मल वर्मा
निर्मल वर्मा
पूरा नाम निर्मल वर्मा
जन्म 3 अप्रॅल, 1929
जन्म भूमि शिमला
मृत्यु 25 अक्तूबर, 2005
मृत्यु स्थान दिल्ली
कर्म-क्षेत्र साहित्य
मुख्य रचनाएँ ‘रात का रिपोर्टर’, ‘एक चिथड़ा सुख’, ‘लाल टीन की छत’, ‘वे दिन’ आदि
भाषा हिन्दी
विद्यालय सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली
शिक्षा एम.ए. (इतिहास)
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी निर्मल वर्मा इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज़ (शिमला) के फेलो (1973), निराला सृजनपीठ भोपाल (1981-83) और यशपाल सृजनपीठ (शिमला) के अध्यक्ष रहे।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

निर्मल वर्मा (जन्म: 3 अप्रॅल 1929 - मृत्यु: 25 अक्तूबर 2005) हिन्दी के आधुनिक साहित्यकारों में से एक थे। निर्मल वर्मा का हिन्दी साहित्य में नई कहानी आंदोलन में आधुनिकता का बोध लाने वाले कहानीकारों में अग्रणी स्थान है।

जीवन परिचय

निर्मल वर्मा का जन्म 3 अप्रैल सन 1929 को शिमला में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री नंद कुमार वर्मा था जो ब्रिटिश भारत सरकार के रक्षा विभाग में एक उच्च पद पर थे। इनके पिता के आठ बच्चों मे से ये पाँचवे बेटे थे। निर्मल वर्मा ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से एम.ए. किया तथा उसके बाद अध्यापन भी किया। कुछ ही ऐसे साहित्यकार हैं जिन्होंने प्रत्यक्ष अनुभवों के आधार पर भारतीय संस्कृति और पश्चिमी संस्कृति के मतभेद पर गहन विचार किया है जिनमें से एक निर्मल वर्मा भी हैं। उन्हें यूरोप प्रवास का मौका सन 1959 से 1972 के मध्य मिला। प्राग विश्वविद्यालय के प्राच्य विद्या संस्थान में निर्मल वर्मा सात साल तक रहे।

कार्यक्षेत्र

अध्यक्ष
  • इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज़ (शिमला) के फेलो (1973),
  • निराला सृजनपीठ भोपाल (1981-83) और
  • यशपाल सृजनपीठ (शिमला)
प्रकाशित संग्रह

इंग्लैंड के प्रकाशक रीडर्स इंटरनेशनल द्वारा 1988 में उनकी कहानियों का संग्रह 'द वर्ल्ड एल्सव्हेयर' प्रकाशित हुआ था। उसी वक्त बीबीसी द्वारा निर्मल वर्मा पर एक डाक्यूमेंट्री फ़िल्म भी प्रसारित हुई।

सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म

निर्मल वर्मा की कहानी 'माया दर्पण' पर 1973 में एक फ़िल्म बनी थी जिसे सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म का पुरस्कार मिला।

कृतियाँ

निर्मल वर्मा ने अनेक कहानियाँ, उपन्यास, यात्रा वृतांत, संस्मरण आदि लिखे हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं-

उपन्यास
  1. वे दिन (1964)
  2. लाल टीन की छत (1974)
  3. एक चिथड़ा सुख (1979)
  4. रात का रिपोर्टर (1989)
  5. अंतिम अरण्य (1990)
कहानी संग्रह
  1. परिंदे (1958)
  2. जलती झाड़ी (1965)
  3. पिछली गर्मियों में (1968)
  4. बीच बहस में (1973)
  5. मेरी प्रिय कहानियाँ (1973)
  6. प्रतिनिधि कहानियाँ (1988)
  7. कव्वे और काला पानी (1983)
  8. सूखा तथा अन्य कहानियाँ (1995)
  9. संपूर्ण कहानियाँ (2005)
यात्रा-संस्मरण व डायरी
  1. चीड़ों पर चाँदनी (1963)
  2. हर बारिश में (1970)
  3. धुँध से उठती धुन (1977)
निबंध
  1. शब्द और स्मृति (1976)
  2. कला का जोखिम (1981)
  3. ढलान से उतरते हुए (1985)
  4. भारत और यूरोप : प्रतिश्रुति के क्षेत्र (1991)
  5. इतिहास स्मृति आकांक्षा (1991)
  6. शताब्दी के ढलते वर्षों में (1995)
  7. अन्त और आरम्भ (2001)
नाटक
  1. तीन एकान्त (1976)
संचयन
  1. दूसरी दुनिया (1978)
  2. परिवर्द्धित नया संस्करण (2005)
अनुवाद
  1. कुप्रिन की कहानियाँ (1955)
  2. रोमियो जूलियट और अँधेरा (1962)
  3. झोंपड़ीवाले (1966)
  4. बाहर और परे (1967)
  5. बचपन (1970)
  6. आर यू आर (1972)

योगदान

प्रेमचंद और उनके समकक्ष साहित्यकारों जैसे भगवतीचरण वर्मा, फणीश्वरनाथ रेणु आदि के बाद साहित्यिक परिदृश्य एकदम से बदल गया। विशेषकर साठ-सत्तर के दशक के दौरान और उसके बाद बहुत कम लेखक हुए जिन्हें कला की दृष्टि से हिन्दी साहित्य में अभूतपूर्व योगदान के लिये याद किया जायेगा। संख्या में गुणवत्ता के सापेक्ष आनुपातिक वृद्धि ही हुई। इसके कारणों में ये प्रमुख रहे। हिन्दी का सरकारीकरण, नये वादों-विवादों का उदय, उपभोक्तावाद का वर्चस्व आदि। उनके जैसे साहित्यकार से उनके समकालीन और बाद के साहित्यकार जितना कुछ सीख सकते थे और अपने योगदान में अभिवृद्धि कर सकते थे उतना वे नहीं कर पाये। उन्हें जितना मान दिया गया उतना ही उनका अनदेखा भी हुआ। जितनी चर्चा उनकी कृतियों पर होनी चाहिये थी शायद वह हुई ही नहीं। वे उन चुने हुए व्यक्तियों में थे जिन्होंने साहित्य और कला की निष्काम साधना की और जीवनपर्यन्त अपने मूल्यों का निर्वाह किया।

सम्मान और पुरस्कार

  • साहित्य में देश का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ दिया गया (1999)।
  • भारत सरकार की ओर से साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण दिया गया (2002)।
  • निर्मल वर्मा को मूर्तिदेवी पुरस्कार (1995)
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार (1984)
  • उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

निधन

निर्मल वर्मा का निधन 25 अक्टूबर सन 2005 को नई दिल्ली में हुआ था।


टीका टिप्पणी और संदर्भ


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