गोबी मरुस्थल

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गोबी मरुस्थल एशिया महाद्वीप में मंगोलिया के अधिकांश भाग पर फैला हुआ है। यह मरुस्थल संसार का बहुत बड़ा मरुस्थल है। गोबी मरुस्थल पश्चिम में पामीर की पूर्वी पहाड़ियों से लेकर पूर्व में खिंगन पर्वतमालाओं तक तथा उत्तर में अल्ताई, खंगाई तथा याब्लोनोई पर्वतमालाओं से लेकर दक्षिण में अल्ताइन तथा नानशान पहाड़ियों तक फैला है। इस मरुस्थल का पश्चिमी भाग तारिम बेसिन का ही एक हिस्सा है।

विस्तार

संसार के बड़े मरुस्थलों में से एक गोबी का मरुस्थल, जिसका विस्तार उत्तर से दक्षिण में लगभग 600 मील तथा पूर्व से पश्चिम में लगभग 1000 मील है, तिब्बत तथा अल्ताई पर्वतमालाओं के बीच छिछले गर्त के रूप में विद्यमान है। इसकी प्राकृतिक भू-रचना ढालू मैदान के समान है, जिसके चारों तरफ़ पर्वतीय ऊँचाइयाँ हैं। कटाव तथा संक्षारण क्रियाओं के प्रबल होने से यह मरुस्थल अपनी विशिष्ट भूरचना के लिये प्रसिद्ध है। सूखी हुई नदियों की तलहटियाँ तथा झीलों के तटों पर ऊँचाई पर स्थित जल के निशान यहाँ की जलवायु में परिवर्तन के प्रमाण हैं।

सभ्यता अवशेष

प्राचीन कालीन विभिन्न सभ्यताओं के द्योतक भग्नावशेष भी इस मरुस्थल में पाए जाते हैं। यहाँ गर्मी बहुत ज़्यादा और तेज़ पड़ती है तथा गर्मी में औसत तापमान 45° से 65° सें. तथा जाड़े का ताप 15° सें. तक रहता है। यहाँ पर कभी-कभी बर्फ के तूफ़ान तथा उष्ण बालू मिश्रित तूफ़ान भी आते हैं। यहाँ कि वनस्पतियों में घास तथा काँटेदार झाड़ियाँ मुख्य रूप से पाई जाती हैं। जल का यहाँ प्राय: अभाव ही रहता है। कारवाँ मार्गों पर 10 मील से 40 मील की दूरी पर कुएँ पाए जाते हैं।

जीव-जंतु

इस मरुस्थल के पूर्वी भाग में जहाँ दक्षिण-पश्चिम मानसून से कुछ वर्षा हो जाती है, वहाँ थोड़ी खेतीबाड़ी होती है, एवं भेड़, बकरियाँ तथा अन्य पशु पाले जाते हैं। उत्तरी-पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों में भी भेड़ बकरियाँ पाली जाती हैं। सूदूर उत्तर में कुछ जंगल हैं। उत्तर में ओरखान तथा उसकी सहायक नदियों की घाटियों में चीनी बस्तियाँ हैं। आबादी बहुत ही विरल है। मंगोल यहाँ की मुख्य जाति है। उत्तर तथा दक्षिण के घास के मैदानों में आदिवासी लोग हैं, जो खानाबदोशों का जीवन व्यतीत करते हैं। कारवाँ मार्ग अधिकांश पूर्व से पश्चिम दिशा में हैं, जिन पर चीनी व्यापारी कपड़े, जूते, चाय, तंबाकू, ऊन, चमड़े तथा समूर आदि का व्यापार करते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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