बीती विभावरी जाग री -जयशंकर प्रसाद

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बीती विभावरी जाग री -जयशंकर प्रसाद
जयशंकर प्रसाद
जयशंकर प्रसाद
कवि जयशंकर प्रसाद
जन्म 30 जनवरी, 1889
जन्म स्थान वाराणसी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 15 नवम्बर, सन् 1937
मुख्य रचनाएँ चित्राधार, कामायनी, आँसू, लहर, झरना, एक घूँट, विशाख, अजातशत्रु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ

बीती विभावरी जाग री!
          अम्बर पनघट में डुबो रही-
          तारा-घट ऊषा नागरी।

खग-कुल कुल-कुल-सा बोल रहा,
किसलय का अंचल डोल रहा,
          लो यह लतिका भी भर ला‌ई-
          मधु मुकुल नवल रस गागरी।

अधरों में राग अमंद पिए,
अलकों में मलयज बंद किए-
          तू अब तक सो‌ई है आली!
          आँखों में भरे विहाग री।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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