रूठे झुंठे यार -शिवदीन राम जोशी
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रूठे झुंठे यार-शिवदीन राम जोशीबोल्ड पाठ
रूठे झूंठे यार तनिक परवा नां कीजे, रूठ जय यजमान सूम पर चित्त न दीजे | कुटिल बन्धु रूठी जाय भलाई अपनी समझो, व्यर्थ दुनि रूठ जाय दूर अघ सपनी समझो | मूरख सुत रूठ्या भला कुलटा रूठे नार, शिवदीन वे राम रिझाइए सब सारन का सार |
राम गुण गायरे ||
शीर्षक उदाहरण 2
शीर्षक उदाहरण 3
शीर्षक उदाहरण 4
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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