प्रेम पाय सज्जन नवे -शिवदीन राम जोशी

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प्रेम पाय सज्जन नवे-शिवदीन राम जोशी

Insert non-formatted text here प्रेम पाय सज्जन नवे दुर्जन जन इतराय, गऊ पाय तृन दूध दे अहि विष उगल्या जाय | अहि विष उगाल्या जाय दूध पाये क्या होवे, चतुर सुसंगत गहे समय मुरख नर खोवे | उदय रवि जब होय हैं लखि शिवदीन प्रकाश, उल्लू को सूझत नहीं, बीते बारहों मास |

                     राम गुण गायरे ||

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