कैटरीना कैफ़

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कैटरीना कैफ़
कैटरीना कैफ़
कैटरीना कैफ़
पूरा नाम कैटरीना कैफ़
प्रसिद्ध नाम कैटरीना
अन्य नाम कैट
जन्म 16 जुलाई 1984
जन्म भूमि हांगकांग
कर्म-क्षेत्र अभिनेत्री
मुख्य फ़िल्में अपने (2007), पार्टनर (2007), वेलकम (2007), रेस (2008), सिंह इज़ किंग (2008), अजब प्रेम की गजब कहानी (2009), दे दना दन (2009), राजनीति (2010)

एक साल में लगातार चार हिट फिल्में नमस्ते लंदन, अपने, पार्टनर और वेलकम के बाद अब रेस की सफलता ने यह जता दिया कि कैटरीना कैफ़ (Katrina Kaif) एन.आर.आई. होने के बावजूद बॉलीवुड में किसी भी भारतीय अभिनेत्री से पीछे नहीं। पांच फुट आठ इंच की ग्लैमरस कैटरीना केवल सुपर मॉडल ही नहीं अच्छी अदाकारा भी हैं।

बचपन

16 जुलाई 1984 को कैटरीना का जन्म हांगकांग में हुआ। उनके पिता मोहम्मद कैफ भारतीय मूल के कश्मीरी मुस्लिम हैं और माँ सुज़ैन ब्रिटिश हैं। कैटरीना जब छोटी थीं तब उनके माता-पिता अलग हो गए। माता-पिता से अलगाव के बाद काफ़ी परेशान थी। कैटरीना और उनकी बहनों और एक भाई अपनी माँ के साथ रह गईं। सात बहनों और एक भाई के भरे-पूरे परिवार के बीच कैटरीना बडी हुई। कहते हैं कि बचपन हर गम से बेगाना होता है, वैसा ही मस्त बचपन उन्होंने जिया। प्यार से सब उन्हें कैट बुलाते। हवाई में कुछ दिन रहने के बाद कैटरीना इंग्लैंड चली गईं और चौदह वर्ष की आयु में उन्होंने मॉडलिंग शुरू की। शुरुआती पढाई कैटरीना की लंदन में हुई।

कैसे मिला ब्रेक

यह कहावत कि इंसान से बडा उसका नसीब होता है, कैटरीना के मामले में एकदम फिट बैठती है। अपने करियर के बारे में कुछ सोचा भी नहीं था कि मात्र चौदह साल की उम्र में अचानक ही ज्यूलरी के कैंपेन में कैट को मौक़ा मिला। इस सुअवसर ने उनके रास्ते खोल दिए। मॉडलिंग के क्षेत्र में एक सुपर मॉडल के रूप में उन्होंने जल्दी ही अपनी विशेष जगह बना ली। भारत की जमीं पर पैर रखते ही उनका मासूम प्रभावशाली चेहरा, आकर्षक ग्लैमरस व्यक्तित्व और जान फूंक देने वाले अंदाज दर्शकों के दिलो-दिमाग पर हावी होते चले गए। फोटोग्राफर अतुल कस्बेकर के साथ मॉडलिंग शूट करते हुए कैट ने एलजी, कोला, फेविकोल, लक्मे व वीट के लिए विज्ञापन अभियान में काम किया। मॉडलिंग करते हुए ही उन पर नजर पड़ी फिल्म मेकर कैजाद गुस्ताद की।

बॉलीवुड में कैटरीना को लाने का श्रेय कैज़ाद गुस्ताद को जाता है। उन्होंने कैट को फिल्म बूम से बॉलीवुड की राह दिखाई। वे जैकी श्रॉफ की पत्नी के लिए ‘बूम’ नामक फिल्म बना रहे थे और ख़ूबसूरत कैटरीना उन्हें उपयुक्त लगीं। 2003 में प्रदर्शित हुई ‘बूम’ बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही पर कैट का जादू चल गया। विदेश में पली-बढ़ी कैटरीना का अभिनय भी खराब था। उन्हें हिंदी बिलकुल भी समझ में नहीं आती थी। कैटरीना का अनुभव बुरा रहा और बॉलीवुड के फिल्मकारों को भी कैटरीना में कोई ख़ासियत नजर नहीं आई। उन्हें वेस्टर्न लुक वाली ऐसी अभिनेत्री बताया गया, जिसके हावभाव भी विदेशी लड़कियों जैसे थे।

बूम के बाद उन्होंने दो तेलुगू फिल्में भी कीं। मालिसवरी के लिए 70 लाख रुपये लेकर उन्होंने सबसे ज़्यादा कीमत लेने वाली नायिकाओं में अपने को शामिल किया। तमिल फिल्म भीमा भी उन्होंने की।

कैटरीना का कहना है कि उस समय तक मैं भारतीय परिवेश व संस्कृति से पूरी तरह अंजान थी। लेकिन कैट का मानना है कि एकदम भिन्न माहौल और कल्चर का होने पर भी मेरे लिए शॉकिंग कुछ नहीं था। आप कहां से आए हैं यह महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि आपको प्यार, आदर और कद्र मिले। अन्य विदेशी कलाकारों की तरह उन्हें भारत में रहने और वीजा बढाने में परेशानी नहीं हुई। बॉलीवुड कल्चर को अपनाने के लिए उन्होंने हिंदी भाषा के साथ डांस क्लास भी जॉइन की ताकि इस माहौल में वह फिट रह सकें। कथक नृत्य सीखने के लिए उन्होंने सात घंटे तक रोज अभ्यास किया।

बॉलीवुड में

बचपन में कैटरीना

इसी बीच सलमान खान से कैटरीना की दोस्ती हुई। कैटरीना का अभिनय की ओर झुकाव नहीं था, लेकिन सलमान ने उन्हें प्रेरित किया। सलमान के प्रयासों से ही ‘मैंने प्यार क्यों किया’ कैटरीना को मिली। रामगोपाल वर्मा की ‘सरकार’ में भी उन्हें छोटा-सा रोल मिला। 2005 में प्रदर्शित हुई इन दोनों फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर अच्छी सफलता मिली और फिल्मकारों का ध्यान कैटरीना की तरफ गया।

कैटरीना को युवाओं और बच्चों में लोकप्रियता मिली और चढ़ते सूरज को बॉलीवुड में सलाम किया जाता है। कैटरीना को सीमित क्षमताओं के बावजूद कुछ फिल्में मिलीं। ‘नमस्ते लंदन’ (2007) ने कैटरीना के करियर में निर्णायक भूमिका निभाई और इसकी सफलता का ख़ासा लाभ उन्हें मिला। कैटरीना ने नमस्ते लंदन में अक्षय कुमार के साथ शानदार अभिनय कर अपने आपको बॉलीवुड में साबित कर दिया।

इसके बाद तो कैटरीना ने अपने (2007), पार्टनर (2007), वेलकम (2007), रेस (2008), सिंह इज़ किंग (2008), अजब प्रेम की गजब कहानी (2009), दे दना दन (2009), राजनीति (2010) जैसी सफल फिल्मों की झड़ी लगाकर बॉलीवुड की अन्य नायिकाओं की नींद उड़ा दी। इन फिल्मों के जरिये उन्हें डेविड धवन, अनिल शर्मा, अब्बास-मस्तान, राजकुमार संतोषी, प्रियदर्शन, प्रकाश झा और अनीस बज्मी जैसे निर्देशकों के साथ काम करने का अवसर मिला, जिन्हें कमर्शियल फिल्म बनाने में महारथ हासिल है। कैटरीना को लकी एक्ट्रेस कहा जाने लगा और फिल्मों में उनकी उपस्थिति सफलता की गारंटी मानी जाने लगी। कैटरीना को बॉक्स ऑफिस की क्वीन कहा जाने लगा और आज उनके नाम पर आरंभिक भीड़ जुटती है।

कैटरीना को सफलता सिर्फ भाग्य के बल पर ही नहीं मिली। उन्होंने इसके लिए कठोर परिश्रम किया। अ‍पनी अभिनय क्षमता को निखारा और फिल्म-दर-फिल्म उनका अभिनय बेहतर होता गया। सेट पर कोई नखरे नहीं दिखाए और जैसा निर्देशक ने बताया वैसा उन्होंने किया। कैटरीना इस बात से भी अच्छी तरह परिचित हैं कि उन्हें हिंदी फिल्मों में काम करना है तो इस भाषा को सीखना होगा वरना वे चेहरे पर भाव कैसे ला पाएँगी। उन्होंने हिंदी सीखी और अब वे हिंदी अच्‍छी तरह समझ लेती हैं। बोलने में उन्हें थोड़ी तकलीफ होती है और उनका लहजा विदेशी लगता है, लेकिन जल्दी ही वे अपनी इस कमज़ोरी पर भी काबू पा लेंगी। अब कैटरीना में आत्मविश्वास आ गया है और वे सशक्त भूमिकाएँ भी निभा रही हैं। निर्देशक भी अब कठिन भूमिकाओं के लिए कैटरीना पर भरोसा करने लगे हैं।

पसंद

बचपन में कैटरीना

अपने परिधानों के चयन को लेकर वह सजग रहती हैं विशेषकर बोल्ड परिधानों को लेकर। व्यक्तिगत तौर पर वह आरामदायक कपडे पहनना पसंद करती हैं। मेकअप से वह कोसों दूर रहना चाहती हैं। चहेते अभिनेताओं में लिओनार्डो डी कैपरिओ, जॉनी डैप, शाहरुख खान, रितिक रोशन, आमीर खान और पसंदीदा अभिनेत्रियां काजोल व माधुरी दीक्षित हैं। फेवरेट क्रिकेटर इरफान पठान है। भारतीय खाने में दही और चावल रुचता है। फिल्मों में उमराव जान, गॉन विद द विंड और कैसाब्लैंका अच्छी लगती हैं। स्पा में जाना, नए लोगों से मिलना और दोस्तों के साथ समय बिताना उन्हें अच्छा लगता है। रीना ढाका, तरुण तहिलियानी व रॉकी एस के डिजाइन उन्हें पसंद हैं।

नजरिया

ब्रिटिश लडकी होने पर भी बॉलीवुड ने उनके विचारों को स्वीकारा। मुझे कोई शिकायत नहीं, मुझे लगता है कि मैं भाग्यवान हूं। मैं बाहर से आई और यहां किसी से परिचित भी नहीं थी लेकिन मुझे किसी प्रकार की समस्या नहीं हुई। उम्मीद से बढकर लोगों ने मेरा स्वागत किया, जबकि उस समय मैं इंडस्ट्री के कायदों को समझने की तैयारी कर रही थी। तब मैं मॉडलिंग में ही काम कर रही थी। इसीलिए मेरी एंट्री फिल्मों में लोगों की उम्मीदों से कुछ देर में हुई। इसीलिए कहती हूं कि मैं लकी हूं कि कहीं से अभिनय की पढाई न करने पर भी मैं अपनी जगह बना पाई।

मैं बहुत मूडी हूं। कोई छोटी सी चीज भी मेरे मूड को अचानक बदल सकती है। लेकिन मैं ऐसी ही हूं और इसी व्यवहार को संयमित करने पर काम कर रही हूं। मैं ईमानदार व पजेसिव हूं। मुझे ईमानदार और साफ दिल के लोग पसंद हैं, जिन पर मैं आंख बंद कर भरोसा कर सकती हूं।



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