अंतरंजी खेड़ा

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अंतरंजी खेड़ा एटा से लगभग दस मील दूर, काली नदी के तट पर बसा हुआ अति प्राचीन नगर है। इस नगर की नींव डालने वाला राजा बेन कहा जाता है जिसके विषय में रुहेलखंड में अनेक लोककथाएं प्रचलित हैं।

  • कहा जाता है कि राजा बेन ने मुहम्मद ग़ोरी को उसके कन्नौज-आक्रमण के समय परास्त किया था किंतु अंत में बदला लेकर ग़ोरी ने राजा बेन को हराया और उसके नगर को नष्ट कर दिया। एक ढूह के अन्दर से हजरत हसन का मकबरा निकला था- जो इस लड़ाई में मारा गया था।
  • कुछ लोगों का कहना है कि अंतरंजी खेड़ा वही प्राचीन स्थान है जिसका वर्णन चीनी यात्री युवानच्वांग ने पिलोशना या विलासना नाम से किया है किंतु यह धारणा गलत सिद्ध हो चुकी है। यह दूसरा स्थान बिलसड़ नामक प्राचीन नगर था जो एटा से 30 मील दूर है। किन्तु फिर भी अंतरंजी खेड़े के पूर्व-मुसलमान काल का नगर होने में कोई संदेह नहीं है क्योंकि यहां के विशाल खंडहरों के उत्खनन में, जो एक विस्तृत टीले के रूप में हैं (टीला 3960 फुट लम्बा, 1500 फुट चौड़ा और प्राय: 65 फुट ऊंचा है) शुंग, कुषाण और गुप्तकालीन मिट्टी की मूर्तियां, सिक्के, ठप्पे, ईंटों के टुकड़े आदि बड़ी संख्या में प्राप्त हुए हैं।
  • खंडहर के एक सिरे पर एक शिवमंदिर के अवशेष हैं जिसमें पांच शिवलिंग हैं। इनमें एक नौ फुट ऊंचा है। टीले की रूपरेखा से जान पड़ता है कि इसके स्थान पर पहले एक विशाल नगर बसा हुआ था


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली


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