पणीक्कर, के. एम.
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पणीक्कर, के. एम. पूरा नाम 'कावलम माधव पणिक्कर' (जन्म - 3 जून, 1895 त्रावणकोर, दक्षिण भारत; मृत्यु - 10, 1963 मैसूर, कर्नाटक) राजनीतिज्ञ, राजनीयक और विद्वान थे।
शिक्षा
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में शिक्षा प्राप्त करने वाले पणिक्कर ने लंदन के मिड्ल टेंपल से बार के लिए अध्ययन किया और भारत लौटकर अलीगढ़ तथा कलकत्ता विश्वविधालयों में अध्यापन किया।
कार्यकाल
1925 में वह पत्रकारिता की ओर मुड़े और द हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक बने। नरेंद्र मंडल[1] के चांसलर के सचिव के रूप में काम करते हुए भारतीय रजवाड़ों की सेवा के दौरान उन्होंने राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया। उन्होंने पटियाला रियासत के विदेश मंत्री तथा बीकानेर रियासत के विदेशी मंत्री और बाद में मुख्यमंत्री (1944-47) के रूप में भी काम किया। भारत के स्वतंत्र होने के बाद उन्हें चीन (1948-52), मिस्र (1952-53) और फ़्रांस (1956-59) का राजदूत बनाया गया। जीवन के उत्तरार्द्ध में वह पुन: शिक्षण की ओर लौटे तथा जीवनपर्यत मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन रहे।
पणिक्कर द्वारा मालाबार[2] में पुर्तग़ालियों तथा डचों पर अध्ययन, विशेषकर उनकी कृति एशिया ऐंड वेस्टर्न डॉमिनेन्स (1953) से एशिया पर यूरोपीय प्रभाव के प्रति उनकी रुचि परिलक्षित होती है। टू चाइनाज़ (1955) से साम्यवादी चीन के प्रति उनकी सहानभूति का पता चलता है। उन्होंने नाटक और उपन्यास भी लिखे हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ चेंबर ऑफ़ प्रिंसेज़, भारतीय रजवाड़ों के शासकों का संगठन
- ↑ दक्षिण भारत
बाहरी कड़ियाँ
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