वानप्रस्थ संस्कार

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रिया (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:35, 29 मई 2010 का अवतरण ('*<u>हिन्दू धर्म संस्कारोंमें वा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • हिन्दू धर्म संस्कारोंमें वानप्रस्थ संस्कार चर्तुदश संस्कार है।
  • पुत्र का पुत्र अर्थात् पौत्र का मुख देख लेने के पश्चात् पितृ-ऋण चुक जाता है।
  • यदि घर छोड़ने की सम्भावना न हो तो घर का दायित्व ज्येष्ठ पुत्र को सौंपकर अपने जीवन को आध्यात्मिक जीवन में परिवर्तित कर लेना चाहिये। *स्वाध्याय, मनन, सत्संग, ध्यान, ज्ञान, भक्ति तथा योगदिक साधना के द्वारा अपने जीवन स्तर को ऊँचा उठाना चाहिये। इससे संन्यास धर्म के लिये योग्यता भी आ जाती है।

सम्बंधित लिंक