भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आशा चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:09, 22 जून 2012 का अवतरण ('शिवालिक पहाड़ियों के बीच में शहर की से दूर, शिक्षा के...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

शिवालिक पहाड़ियों के बीच में शहर की से दूर, शिक्षा के एक नए मंदिर की स्थापना हुई है। कुल्लू से कुछ घंटों की दूरी पर देश के सबसे युवा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) का जन्म हुआ है। यह स्थान मण्डी के ऐतिहासिक शहर से 12 कि.मी. दूर पहाड़ियों पर है।

इतिहास

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मण्डी का प्रगतिशील इतिहास है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मण्डी के स्थाई परिसर हेतु 24 फरवरी 2009 को कमांद में आधारशिला रखी गई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मण्डी के क्रियाकलापों के संचालन हेतु 18 मार्च 2009 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी कक्ष की स्थापना हुई। प्रारम्भिक रुप से दस वर्षों के लिए तैयार शैक्षणिक कार्यक्रमों, परिसर विकास एवं संबंधित विषयों के विकास हेतु रुपरेखा की सूचनात्मक प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट (पीपीआर) को 24 अप्रैल 2009 को अंतिम रुप दिया गया। इस रिपोर्ट का बड़ा अंश कमांद की 538 एकड़ जमीन की नाप तौल तथा ड्राइंग और इसके प्रयोग की योजना का था। इस रिपोर्ट को अप्रैल 2009 में हिमाचल सरकार को सौंपा गया।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी को एक संस्था के रुप में 20 जून 2009 को उत्तराखंड में पंजीकृत कराया गया।

प्रथम सत्र

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मण्डी में पहले सत्र के विद्यार्थियों का प्रवेश जुलाई 2009 में किया गया तथा 27 जुलाई 2009 से उनकी कक्षाएं प्रारम्भ हुईं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मण्डी के छात्रों के लिए 'राजेंद्र भवन' एवं 'कस्तूरबा भवन' में छात्राओं के रहने की व्यवस्था की गई ।

श्री अशोक ठाकुर, अतिरिक्त सचिव, उच्चतर शिक्षा विभाग, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय, भारत सरकार, के 13 अगस्त 2009 को आगमन के समय शासकीय परास्नातक कॉलेज मण्डी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी के पारगमन परिसर के विकास हेतु योजना को अंतिम रुप दिया गया। यह परिसर निकट भविष्य में काम करना शुरु कर देगा तथा कमांद में मुख्य परिसर के विकसित होकर प्रारम्भ होने तक काम करेगा।

सघन जंगलों के क्षेत्र को छोड़ते हुए वन भूमि में आवश्यक परिवर्तन करते हुए 15 सितंबर 2009 को संशोधित प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट (पीपीआर) को अंतिम रुप दिया गया। पारगमन परिसर के भवनों को हिमाचल प्रदेश सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी को 16 नवंबर 2009 को सौंप दिया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी में राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) पर आभासी शिक्षण कक्ष की स्थापना के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी, राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र (एनआईसी) एवं राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र निगमित सेवाएं (एनआईसीएसआई) के बीच एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया है।

भवन

भवन एवं निर्माण कार्य समिति की पहली बैठक विशेष तौर पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी के लिए 14 दिसंबर 2009 को आयोजित हुई जिसमें केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा मण्डी में पारगमन परिसर के विकास हेतु दिए गए प्रारम्भिक आंकलन मूल्य पर विचार विमर्श किया गया । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी की वित्त समिति एवं अधिशाषी मंडल (बीओजी) की प्रथम बैठक 21 दिसंबर 2009 को आयोजित हुई जिसमें केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा मै. आर पी वैद्य एसोशिएट्स-स्पेस मैट्रिक्स द्वारा तैयार अभिकल्प डिजाइन के आधार पर तैयार आंकलन मूल्य (पारगमन परिसर भवन के नवीनीकरण साथ-साथ एक प्रयोगशाला ब्लॉक एवं विद्यार्थी क्रियाकलाप केंद्र आदि के निर्माण के लिए) का अनुमोदन किया गया । बीओजी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी में संकाय तथा गैर शैक्षणिक स्टाफ की आरक्षण के उद्देश्य की पूर्ति के लिए समूहन को अनुमोदित किया ।

==निदेशक==   

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी के निदेशक के रुप में प्रो.तिमोथी ए गोन्साल्वेस ने 15 जनवरी 2010 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के निदेशक से कार्यभार ग्रहण किया। प्रो.तिमोथी ए गोन्साल्वेस 21-23 जनवरी 2010 के बीच पहली बार मण्डी दौरे पर गए।

कैसे पहुँचें

दिल्ली से

दिल्ली पहुंचने पर अंतर्राज्यीय बस अड्डा (आईएसबीटी) कश्मीरी गेट जाएं, वहां से मनाली अथवा मण्डी जाने वाली बसें प्लेटफॉर्म संख्या 6-8 से चलती हैं । दिल्ली से मण्डी की दूरी 475 कि.मी. है जिसे बस द्वारा लगभग 12 घंटे में तय किया जा सकता है। यदि कोई निजी वाहन या कार/जीप से आने की योजना बनाता है तो यह समय 12 घंटे से कम भी लग सकता है। दिल्ली से विभिन्न प्रकार की सुविधाओं से युक्त जैसे साधारण, डीलक्स, एवं वातानुकूलित बसें चलती हैं। मण्डी आने के लिए अन्य राज्यों की बसें तथा निजी बसें भी उपलब्ध रहती हैं।

चंडीगढ़ से

चंडीगढ़ से भी मण्डी एवं मनाली के लिए बसें मिलती हैं। चंडीगढ़ से मण्डी तक की यात्रा के लिए टैक्सी का भी विकल्प है। चंडीगढ़ एवं मण्डी के बीच की दूरी 200 किमी. है, जिसे लगभग 6 घंटे में बस तथा टैक्सी से 5 घंटे में तय किया जा सकता है।

वायुमार्ग से

मण्डी कस्बे से सबसे पास लगभग 75 किमी. की दूरी पर भुंतर में कुल्लू हवाई अड्डा है। यह घरेलू हवाई अड्डा बड़े जहाजों के लिए उपयुक्त नहीं है अतः यहां कुल्लू में दिल्ली एवं शिमला से सीमित संख्या में छोटे जहाज ही आते जाते हैं और कुल्लू के लिए कोई अंतर्राष्ट्रीय अथवा देश के अन्य बड़े शहरों से उड़ान नहीं है। वायुमार्ग से मण्डी आने के इच्छुकों को पहले दिल्ली आना होगा जो कि देश-विदेश के महत्वपूर्ण स्थानों से वायुमार्ग से जुड़ी है। दिल्ली से मण्डी आने के लिए यात्रियों को कुल्लू की फ्लाइट लेनी होती है, यह यात्रा लगभग 90 मिनट की है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख