के एस सुदर्शन

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर एस एस) के पूर्व सरसंघचालक के एस सुदर्शन (कुप्पाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन) का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर में 18 जून 1931 में हुआ था। सुदर्शन की प्रारंभिक शिक्षा रायपुर, दामोह, मंडला और चंद्रपुर में हुई। उन्होंने सागर यूनिवर्सिटी से टेलीकम्युनिकेशंस में बीटेक डिग्री प्राप्त की। महज 9 साल की उम्र में ही उन्होंने पहली बार आर एस एस शाखा में भाग लिया। वर्ष 1954 में जबलपुर इंजीनिरिंग कालेज से दूरसंचार विषय में बीई की उपाधि प्राप्त कर वह पहली बार सुदर्शन आरएसएस के प्रचारक बने।

1964 में रायगढ़ जिले में सुदर्शन बतौर संघ के प्रचारक बनाए गए। बाद में वे मध्य प्रदेश के प्रांत प्रचारक बने। इसके बाद संघ में उन्होंने कई तरह की अहम जिम्मेदारियां संभाली। सुदर्शन करीब छह दशकों तक आर एस एस प्रचारक रहे। 10 मार्च, 2000 को आरएसएस प्रमुख बने। 21 मार्च, 2009 तक वह इस पद पर रहे। सुदर्शन ने 10 मार्च 2000 को नागपुर में अखिल भारतीय प्रतिनधि सभा के उद्घाटन सत्र में तत्कालीन सरसंघचालक रज्जू भैया से आर एस एस प्रमुख के रुप में दायित्व ग्रहण किया था। खराब स्वास्थ्य के चलते बाद में उन्होंने यह पद छोड दिया था।

कर्नाटक के मांड्या जिले के कुप्पाली गांव निवासी सुदर्शन संघ कार्यकर्ताओं के बीच शारीरिक प्रशिक्षण के लिए जाने जाते थे। सुदर्शन दक्षिण भारत से पहले आरएसएस प्रमुख थे। उन्होंने आर्थिक संप्रभुता और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर जोर दिया। गत अगस्त में मैसूर में सुबह की सैर के दौरान वह कुछ समय के लिए लापता हो गए थे।

वह भाजपा नेताओं के खिलाफ विवादात्मक टिप्पणियों के लिए भी जाने जाते थे। 2004 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद सुदर्शन ने एक साक्षात्कार में कहा था कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेताओं को युवा नेतृत्व के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। वह संघ के अंदर एनडीए सरकार की आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे थे।



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