चक्रवर्ती
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चक्रवर्ती से तात्पर्य है कि प्राचीन समय में जिस राजा का (रथ) चक्र समुद्र पर्यंत चलता था, उसको 'चक्रवर्ती' कहा जाता था।[1]
- ऐसे राजा को अश्वमेध या राजसूय यज्ञ करने का अधिकार होता था।
- भारत के प्राचीन साहित्य में ऐसे राजाओं की कई सूचियाँ पाई जाती हैं।
- मान्धाता और ययाति प्रथम चक्रवर्तियों में से थे।
- समस्त भारत को एक शासन सूत्र में बाँधना चक्रवर्तियों का प्रमुख आदर्श होता था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 258 |