कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार, ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार, बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी, माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी, कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा, जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा।