खिल-खिल खिल-खिल हो रही, श्री यमुना के कूल अलि अवगुंठन खिल गए, कली बन गईं फूल कली बन गईं फूल, हास्य की अद्भुत माया रंजोग़म हो ध्वस्त, मस्त हो जाती काया संगृहीत कवि मीत, मंच पर जब-जब गाएँ हाथ मिलाने स्वयं दूर-दर्शन जी आएँ