केशान्त संस्कार

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अश्वनी भाटिया (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:32, 16 जून 2010 का अवतरण (Text replace - "==टीका-टिप्पणी==" to "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • हिन्दू धर्म संस्कारों में केशान्त संस्कार एकादश संस्कार है।
  • बालक का प्रथम मुंण्डन प्रायः पहले या तीसरे वर्ष में हो जाता है। यह बात पहले ही कही जा चुकी है।
  • प्रथम मुंण्डन का प्रयोजन केवल गर्भ के केशमात्र दूर करना होता है।
  • उसके बाद इस केशान्त संस्कार में भी मुंण्डन करना होता है।
  • जिससे बालक वेदारम्भ तथा क्रिया-कर्मों के लिए अधिकारी बन सके अर्थात वेद-वेदान्तों के पढ़ने तथा यज्ञादिक कार्यों में भाग ले सके। इसलिए कहा भी है कि शास्त्रोक्त विधि से भली-भाँति व्रत का आचरण करने वाला ब्रह्मचारी इस केशान्त-संस्कार में सिर के केशों को तथा श्मश्रु के बालों को कटवाता है।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 'केशान्तकर्मणा तत्र यथोक्त-चरितव्रतः' (व्यासस्मृति 1|41)।

सम्बंधित लिंक