गिलोय

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गिलोय एक ऐसी लता है जो भारत में सवर्त्र पैदा होती है। नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय औषधि के रूप में प्राप्त करने में बेहद प्रभाव शाली है। अमृत तुल्य उपयोगी होने के कारण इसे आयुर्वेद में अमृता नाम दिया गया है। ऊंगली जैसी मोटी धूसर रंग की अत्यधिक पुरानी लता औषधि के रूप में प्रयोग होती है।

अन्य नाम

गिलोय का वैज्ञानिक नाम 'टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया' (Tinospora cordifolia) है। इसे अंग्रेज़ी में गुलंच कहते हैं। कन्नड़ में अमरदवल्ली, गुजराती में गालो, मराठी में गुलबेल, तेलुगू में गोधुची, तिप्प्तिगा, फारसी में गिलाई, तमिल में शिन्दिल्कोदी आदि नामों से जाना जाता है। गिलोय में ग्लुकोसाइन, गिलो इन, गिलोइनिन, गिलोस्तेराल तथा बर्बेरिन नामक एल्केलाइड पाये जाते हैं।[1]

प्राप्ति स्थान

यदि आपके घर के आस-पास नीम का पेड़ हो तो आप वहां गिलोय बो सकते हैं। नीम पर चढी हुई गिलोय उसी का गुड अवशोषित कर लेती है, इस कारण आयुर्वेद में वही गिलोय श्रेष्ठ मानी गई है जिसकी बेल नीम पर चढी हुई हो। गिलोय हमारे यहां लगभग सभी जगह पायी जाती है। यह स्वयं भी नहीं मरती है और उसे भी मरने से बचाती है, जो इसका प्रयोग करे। कहा जाता है की देव-दानवों के युद्ध में अमृत कलश की बूँदें जहाँ जहाँ पड़ीं, वहां वहां गिलोय उग गई।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कैंसर के इलाज में गिलोय के चमत्कार (हिंदी) Vaidic Health Tips। अभिगमन तिथि: 22 जून, ।

बाहरी कड़ियाँ

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