पोरबंदर
पोरबंदर गुजरात राज्य के दक्षिण छोर पर अरब सागर से घिरा हुआ है। पोरबंदर का निर्माण जूनागढ़ ज़ले से हुआ था। पोरबंदर महात्मा गाँधीजी का जन्म स्थान है इसलिए स्वाभाविक रूप से पोरबंदर में उनके जीवन से जुड़े कई स्थान हैं जो आज दर्शनीय स्थलों में बदल चुके हैं। 10वीं शताब्दी में पोरबंदर को पौरावेलाकुल कहा जाता था और बाद में इसे सुदामापुरी भी कहा गया।
स्थिति
पोरबंदर गुजरात राज्य का एक ऐतिहासिक ज़िला है। पोरबंदर उत्तर में जामनगर से, पूर्व में जूनागढ़ से, पश्चिम में राजकोट से और दक्षिण में अरब सागर से घिरा है।
इतिहास
- महात्मा गांधी के जन्म स्थल के रूप में प्रसिद्ध इस स्थान पर 16वीं शाताब्दी के आसपास जेठवा राजपूतों का नियंत्रण था। ज़िला बनने से पहले पोरबंदर भूतपूर्व पोरबंदर रियासत (1785-1948) की राजधानी था।
- पोरबंदर में गांधीजी का तिमंजिला पैतृक निवास है जहाँ ठीक उस स्थान पर एक स्वस्तिक चिह्म बनाया गया है जहाँ गाँधीजी की माँ पुतलीबाई ने उन्हें जन्म दिया था। लकडी की संकरी सीढी अभ्यागतों की ऊपरी मंजिल तक ले जाती है जहाँ गाँधीजी का अध्ययन कक्ष है।
- गाँधीजी के जन्म की स्मृति को अमर बनाने के लिए 79 फीट ऊंची एक इमारत का निर्माण उस गली में किया गया जहाँ 2 अक्टूबर 1869 को बापू का जन्म हुआ। कीर्तिमंदिर के पीछे नवी खादी है जहाँ गाँधीजी की पत्नी कस्तूरबा का जन्म हुआ था।
यातायात और परिवहन
वायु मार्ग
पोरबंदर हवाई अड्डा है। भारत के प्रमुख शहरों मुंबई, दिल्ली, आदि के लिए नियमित रूप से पोरबंदर से हवाई जहाज़ उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग
पोरबंदर रेलवे स्टेशन पोरबंदर-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर स्थित है। भारत के लगभग सभी शहरों से पोरबंदर के लिए रेल सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग
राज्य परिवहन की बसें पारबंदर को ज़िले व राज्य के अन्य हिस्सों से जोड़ती हैं। भारत के लगभग सभी शहरों से पोरबंदर के लिए बसें सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
उद्योग और व्यापार
पोरबंदर शहर भवन निर्माण में काम आने वाले पत्थरों के लिए विख्यात है और पोरबंदर में कई प्रकार के उत्पादन का काम भी होता है।
जनसंख्या
पोरबंदर की कुल जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) 5,36, 854 है।
पर्यटन
पोरबंदर में महात्मा गाँधी का जन्म स्थान है इसलिए स्वाभाविक रूप से यहा उनके जीवन से जुड़े कई स्थान हैं जो आज दर्शनीय स्थलों में बदल चुके हैं।
कीर्ति मंदिर
- कीर्ति मंदिर पोरबंदर का प्रमुख आकर्षण केन्द्र है।
- कीर्ति मंदिर महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा का घर था।
- कीर्ति मंदिर उस जगह के पास स्थित है जहाँ महात्मा गांधी का जन्म हुआ था।
- कीर्ति मंदिर में एक गांधीवादी पुस्तकालय और प्रार्थना कक्ष है।
हुजूर महल
- हुजूर महल एक विशाल इमारत है।
- हुजूर महल का निर्माण नटवर सिंह ने करवाया था।
- हुजूर महल की छत लकड़ी की है और छत पर रेलिंग लगी है।
- हुजूर महल में खूबसूरत बाग और फव्वारा भी दर्शनीय हैं।
- अर्धवृत्ताकार प्रवेश द्वारों वाले हुजूर महल के स्तंभ बहुत की आकर्षण और कलात्मक हैं।
- अरब सागर को देखते हुजूर महल में कई घुमावदार हिस्से हैं और इसकी रचना आधुनिक शैली में की गई है।
नेहरु तारामंडल
- नेहरु तारामंडल सिटी सेंटर से 2 किमी. दूर है।
- नेहरु तारामंडल में दोपहर में चलने वाला शो गुजराती भाषा में होता है।
- नेहरु तारामंडल पर दिन भर शो चलते रहते हैं।
- नेहरु तारामंडल गांधीजी द्वारा शुरु किए गए असहयोग आंदोलन को समर्पित है।
- नेहरु तारामंडल में प्रवेश के साथ ही इस ऐतिहासिक आंदोलन से जुड़ी तस्वीरों की पूरा श्रृंखला प्रदर्शित की गई है।
- नेहरु तारामंडल के सामने प्रसिद्ध भारत मंदिर कक्ष है।
घुमली गणेश मंदिर
- घुमली गणेश मंदिर 0वीं शताब्दी के आरंभ में बना था।
- घुमली गणेश मंदिर गुजरात में आरंभिक हिन्दु वास्तुशिल्प का सुंदर नमूना है।
- घुमली गणेश मंदिर मंदिर घुमली में स्थित है जो पोरबंदर से 35 किमी. दूर है। मंदिर के ऊंचे शिखर और दीवारें आकर्षक लगती हैं। यह मंदिर अब जर्जर अवस्था में है लेकिन इसका आकर्षण अब भी बरकरार है।
सूर्य मंदिर
- सूर्य मंदिर का निर्माण 6ठीण शताब्दी में हुआ था।
- सूर्य मंदिर पोरबंदर से 50 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित है।
- सूर्य मंदिर पश्चिम भारत के आरंभिक मंदिरों में से एक जो आज भी विद्यमान हैं।
- सूर्य मंदिर में दो भुजा वाले भगवान गणेश और देवी पार्वती विराजमान हैं।
- सूर्य मंदिर की सबसे निचली छत पर कई उभरी हुई आकृतियां बनी हुई हैं।
- सूर्य मंदिर की छत पिरामिड के आकार की है।
- सूर्य मंदिरर का वास्तुशिल्प बहुत ही अद्भुत है और मंदिर की सजाया बेहद दुर्लभ है।
वर्धा वन्यजीव अभ्यारण्य
- 190 वर्ग किमी. में फैला वर्धा वन्यजीव अभ्यारण्य पोरबंदर से 15 किमी. दूर पर स्थित है।
- वर्धा वन्यजीव अभ्यारण्य गुजरात के दो ज़िलों- पोरबंदर और जामनगर- का हिस्सा है।
- वर्धा वन्यजीव अभ्यारण्य के चारों ओर से खेत, बंजर भूमि और जंगल से घिरा हुआ हैं।
- बिलेश्वरी और जोघ्री नदी इसके बीच में से होकर बहती हैं।
- खंबाला और फोदर में स्थित महत्वपूर्ण बांध हैं।
- चीते और भेड़िए जैसे संकटग्रस्त जंतु यहाँ पाए जाते हैं।
- चीते और भेड़िए के अलावा वर्धा वन्यजीव अभ्यारण्य जंगली सूअर, मगरमच्छ, तेंदुआ, धब्बेदार हिरन, सांभर आदि का भी घर है।
- धब्बेदार चील और क्रेस्टिड हॉक-ईगल भी यहाँ पाई जाती हैं जो दुर्लभ पक्षियों की श्रेणी में आते हैं।
- वर्धा वन्यजीव अभ्यारण्य के बीच में किलेश्वर मंदिर और कैंपिग स्थल भी है।
पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य
- पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य पोरबंदर के बीचों बीच स्थित है।
- पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य 9 एकड़ में फैला है।
- पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य गुजरात का सबसे छोटा पक्षी अभ्यारण्य है।
- पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य पर न केवल ताजे पानी की झील है बल्कि यह अभ्यारण्य कई निवासी और प्रवासी पक्षियों का घर भी है।
- पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य पर आपको मुर्गे-मुर्गियाँ, फ्लेमिंगो, सारस, बतख सबसे विभिन्न प्रकार के पक्षी देखने को मिल जाएंगे।
समुद्री तट
माधवपुर तट
- माधवपुर तट गुजरात के सर्वाधिक सुंदर और रेतीले तटों में से एक है
- माधवपुर तट नारियल के पेड़ से घिरे हुए सुंरद रेतीले तट है।
- माधवपुर बीच के पास ही माधवरायजी का मंदिर है।
- माधवरायजी के मंदिर के पास महाप्रभुजी की बैठक है जो इस स्थान के अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
- माधवपुर तट सच्चे अर्थों में आराम पाने और जीवन में नया रंग लाने का एक आदर्श स्थान है।
- नारियल के पेड़ माधवपुर तट को चारों ओर से घेरते हुए ठण्डी समुद्री हवाओं के बीच एक ऐसा स्थान बना देते हैं जहाँ समुद्र आपके पैरों को छूता है और आप समुद्र के किनारे अवकाश के कुछ ताजा पल बिता सकते हैं।
पोरबंदर तट
- पोरबंदर तट गुजरात के प्रमुख समुद्री तटों में से एक है।
- पारेबंदर तट वेरावाल और द्वारिका के बीच स्थित एक सुंदर तट है।
- पोरबंदर तट गुजरात एक ऐसा तट है जहाँ अधिक छेड़छाड़ नहीं की गई है।
- समुद्री लहरों के साथ-साथ फ्लेमिंगो और अन्य समुद्री पक्षी देखे जा सकते हैं।
- फ्लेमिंगो जैसे तटीय पक्षियों को देखने का अनुभव निश्चय ही अद्भुत है।
- पोरबंदर तट की पृष्ठभूमि में प्रसिद्ध पोरबंदर कस्बा है जहाँ आप पवित्र, शांत और सुंदर तट पर टहलते हुए आराम पा सकते हैं।
- पोरबंदर तट पर बैठ कर अरब सागर का सुंदर नजारा देखा जा सकता है।
दरबारगढ़
- दरबारगढ़ महल का निर्माण राणा सरतनजी ने करवाया था।
- दरबारगढ़ महल का प्रवेश द्वार पत्थर का बना है जिसपर खूबसूरत नक्काशी की गई है।
- दरबारगढ़ महल के द्वार के दोनों ओर ऊंची मीनारें और लकड़ी के विशाल दरवाजे हैं।
- दरबारगढ़ महल गुजरात के शाही महलों का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है।
- दरबारगढ़ महल के पास प्रवेश द्वार के बायीं ओर का स्थान भी विशाल आंगन और लकड़ी पर खूबसूरत नक्काशी का नमूना पेश करता है।
सतरनजी चोरो
- राणा सतरनजी ने सतरनजी चोरो का निर्माण ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में करवाया था।
- सतरनजी चोरो तीन मंजिला ईमारत है।
- सतरनजी चोरो राजपूत शैली में बनाया गया है।
- उद्यान का हर कोना एक अलग कारण को प्रकट करता है।
- सतरनजी चोरो के स्तंभों पर तराशे गए संगीतकार है।
- इन स्तंभों पर बनाया गया गुंबद उन बीते दिनों की याद दिलाता है जब राणा सरतनजी इस पेवेलियन के अंदर बैठ कर ब्रजभाषा में कविताएं रचते थे।