आहार्य

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{{शब्द संदर्भ लघु |हिन्दी=खाने योग्य, लेने, लाने या हरण करने योग्य, भक्ष्य, खाद्य जैसे- छह प्रकार के आहार्य पदार्थ, नाटयशास्त्र अभिनव का एक प्रकार |व्याकरण=[संस्कृतभाषा आ धातु ह्र+ण्यत्], विशेषण ग्रहण करने योग्य, पुल्लिंग- काव्यशास्त्र में अनुभाव का एक प्रकार |उदाहरण=रुपक में उपमेय या उपमान का आरोप जिनके विषय में वक्ता पूर्णं रुप से जानकार होता है. |विशेष=बाह्य-आहार्यशोभारहितैरमयैः-[1], अभिनय में आंगिक, वाचिक, सात्विक और आहार्य का नियमानुसार प्रयोग किया जाता है। ब्रजभाषा की नाट्य परंपरा (हिन्दी) (एच टी एम) गोपाल प्रसाद व्यास। अभिगमन तिथि: 17 जुलाई, 2010। अभिनव में आहार्य का अर्थ वेश रचना व श्रृंगार आदि के अनुकरण से होता है। |पर्यायवाची=अभोज्य, खाद्य, ग्राह्य, पथ्य, भोग्य, भोज्य, सुपथ्य, सेव्य, खाद्य आहार, आहार, अभ्रष्ट, अमनिया, पवित्र, पावन, शुद्ध |संस्कृत=(संभाव्य कृदन्त तव्यत्) [आ+ह्र+ण्यत्], ग्रहण करने या पकड़ने के योग्य, लाने या ले आने के योग्य, कृत्रिम, नैमित्तिक, [2], [3] पर मल्लि॰ भी, साभिप्राय, अभिप्रेत, श्रृंगार या आभूषा से संप्रेषित या प्रभावित, अभिनय के चार प्रकारों में से एक |अन्य ग्रंथ=श्रीमदभागवत महापुराण में अनेकों स्थानों पर नृत्त- नृत्य का विस्तृत विवरण पाया गया है, साथ ही संगीत वाद्यों का और आहार्य एवं अभिनय एवं नाट्य का भी उदाहरण मिलता है। भारतीय नृत्य का इतिहास (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 17 जुलाई, 2010।

टीका टिप्पणी व संदर्भ

  1. भट्टिकाव्य 2/14
  2. न रम्यमाहार्यमपेक्षते गुणम्-किरातार्जुनीय 4/23
  3. कु॰ 7/23