प्रयोग:Shilpi
रसायन विज्ञान (Chemistry) विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत पदार्थों के गुण, संघटन, संरचना, संरचना तथा उनमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।
Chemistry अर्थात् रसायन विज्ञान शब्द की उत्पत्ति मिस्र के प्राचीन शब्द 'कीमिया' (Chemea) से हुई है, जिसका अर्थ है काला रंग। मिस्र के लोग काली मिट्टी को 'केमि' (Chemi) कहते थे और प्रारंभ में रसायन विज्ञान के अध्ययन को केमिटेकिंग (Chemeteching) कहा जाता था।
लेवायसिये (Lavoisier) को रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है। पदार्थ एवं उसकी प्रकृति
- पदार्थ (Matter)- दुनिया की कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो, जिसका द्रव्यमान होता हो और जो अपनी संरचना में परिवर्तन का विरोध करती हो, पदार्थ कहलाते है। उदाहरण- जल, हवा, बालू आदि।
- प्रारंभ में भारतीयों और यूनानियों का अनुमान था कि प्रकृति की सारी वस्तुएँ पाँच तत्त्वों के संयोग से बनी हैं, ये पाँच तत्त्व हैं- क्षितिज, जल, पावक गगन, समीर।
- भारत के महान ॠषि कणाद के अनुसार सभी पदार्थ आत्यन्त सूक्ष्मकणों से बने हैं, जिसे "परमाणु' कहा गया है।
- पदार्थों का वर्गीकरण-
- ठोस (Solid)- पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों निश्चित हो, ठोस कहलाता है। जैसे लोहे की छड़, लकड़ी की कुर्सी, बर्फ़ का टुकड़ा आदि।
- द्रव (Liquid)- पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार अनिश्चित एवं आयतन निश्चित हो 'द्रव' कहलाता है। जैसे- अल्कोहल, पानी, तारपीन का तेल, मिट्टी तेल आदि।
- गैस (Gas)- पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों अनिश्चित हो 'गैस' कहलाता है। जैसे- हवा, ऑक्सीजन आदि।
नोट: गैसों का कोई पृष्ठ नहीं होता है, इसका विसरण बहुत अधिक होता है तथा इसे आसानी से संपीड़ित (Compress) किया जा सकता है।
- ताप एवं दाब में परिवर्तन करके किसी भी पदार्थ को बदला जा सकता है। परन्तु इसके अपवाद भी हैं, जैसे- लकड़ी, पत्थर। ये केवल ठोस अवस्था में ही रहते हैं।
- जल तीनों भौतिक अवस्था में रह सकता है।
- पदार्थ की तीनों भौतिक अवस्थाओं में निम्न रूप से साम्य होता है- ठोस- द्रव- गैस। उदाहरण- जल।
कुछ पदार्थ गर्म करने पर सीधे ठोस रूप से गैस बन जाते हैं, इसे ऊर्ध्वपातन (Sublimation) कहते हैं। जैसे- आयोडीन, कपूर आदि।
- पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज़्मा एवं पाँचवी अवस्था बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट है।
- तत्त्व (Element)- तत्त्व वह शुद्ध पदार्थ है, जिसे किसी भी ज्ञात भौतिक एवं रासायनिक विधियों से न तो दो या दो से अधिक पदार्थो में विभाजित किया जा सकता है, और न ही अन्य सरल पदार्थों के योग से बनाया जा सकता है। जैसे- सोना, चाँदी, ऑक्सीजन आदि।
- यौगिक (Compound)- वह शुद्ध पदार्थ जो रासायनिक रूप से दो या दो से अधिक तत्त्वों के एक निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग से बने हैं, यौगिक कहलाते हैं। यौगिक के गुण उनके अवयवी तत्त्वों के गुणों से भिन्न होते है, जैसे- जल। जल ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन से मिलकर बनता है, इसमें ऑक्सीजन जलने में सहायक होता है और हाइड्रोजन खुद जलता है लेफ़्रि इन दोनों का यौगिक जल आग को बुझा देता है।
- मिश्रण (Mixture)- वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्त्वों या यौगिकों के किसी भी अनुपात में मिलाने से प्राप्त होता है, मिश्रण कहलाता है। इसे सरल यांत्रिक विधि द्वारा पुनः प्रारंभिक अवयवों में प्राप्त किया जा सकता है। जैसे- हवा।
- समांग मिश्रण (Homogeneous Mixture)- निश्चित अनुपात में अवयवों को मिलाने समांग मिश्रण का निर्माण होता है। इसके प्रत्येक भाग के गुण धर्म एक समान होते हैं। जैसे- चीनी या नमक का जलीय विलयन, हवा आदि।
- विषमांग मिश्रण (Hertogeneous Mixture)- अनिश्चित अनुपात में अवयवों को मिलाने से विषमांग मिश्रण का निर्माण होता है। इसके प्रत्येक भाग के गुण एवं उनके संघटक भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे- बारूद, कुहासा आदि।
मिश्रण को अलग करने की कुछ प्रमुख विधियाँ
- रवाकरण (Crystallisation)- इस विधि के द्वारा अकार्बनिक ठोस मिश्रण को अलग किया जाता है। इस विधि में अशुद्ध ठोस मिश्रण को उचित विलायक (Solvent) के साथ मिलाकर गर्म किया जाता है तथा गर्म अवस्था में ही कीप द्वारा छान लिया जाता है। छानने के बाद विलयन को कम ताप पर धीरे-धीरे ठण्डा किया जाता है। ठण्डा होने पर शुद्ध पदार्थ क्रिस्टल के रूप में विलियन से पृथक् हो जाता है। जैसे- शर्करा और नमक के मिश्रण को इथाइल अल्कोहल में 348 K ताप पर गर्म कर इस विधि द्वारा अलग किया जाता है।
- आसवन विधि (Distillation)- जब दो द्रवों के क्वथनांकों में अन्तर अधिक होता है, तो उसके मिश्रण को आसवन विधि से पृथक् करते हैं। अर्थात् यह द्रवों के मिश्रण को अलग करने की विधि है। इसका प्रथम भाग वाष्पीकरण (Vaporisation) एवं दूसरा भाग संघनन (Condensation) कहलाता है।
- ऊर्ध्वपातन (Sublimation)- इस विधि द्वारा दो ऐसे ठोसों के मिश्रण को अलग करते है, जिसमें एक ठोस ऊर्ध्वपातित (sublimate) हो, दूसरा नहीं। इस विधि से कर्पूर, नेफ़्थलीन, अमोनियम क्लोराइड, एइंथ्रासीन आदि को अलग करते हैं।
- आंशिक आसवन (Fractional distillation)- इस विधि से वैसे मिश्रित द्रवों को अलग करते है, जिसमें क्वथनांकों में अन्तर बहुत कम होता है। खनिज तल या कच्चे तेल में से शुद्ध डीज़ल, पेट्रोल, मिट्टी तेल, कोलातार आदि इसी विधि द्वारा अलग किया जाता है।
- वर्णलेखन (Chromatography)- यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों की अवशोषण (absorption) क्षमता भिन्न-भिन्न होती है तथा वे किसी अधिशोषक पदार्थ में विभिन्न दूरियों पर अवशोषित होते हैं, इस प्रकार वे पृथक् कर लिये जाते हैं।
- भाप आसवन (Steam distillation)- इस विधि से कार्बनिक मिश्रण को शुद्ध किया जाता है, जो जल में अघुलनशील होता है, परन्तु भाप के साथ वाष्पशील होता है। इस्स विधि द्वारा विशेष रूप से उन पदार्थो का शुद्धीकरण किया जाता है, जो अपने क्वथनांक पर अपघटित हो जाते हैं। जैसे- एसीटोन, मिथाइल अल्कोहल आदि।
पदार्थ की अवस्था परिवर्तन
- द्रवणांक (Melting Point)- गर्म करने पर ठोस पदार्थ द्रव अवस्था में परिवर्तित होते हैं, तो उनमें से अधिकांश में यह परिवर्तन एक विशेष दाब पर तथा एक नियत ताप पर होता है। यह नियत ताप वस्तु का द्रवणांक कहलाता है। जब तक पदार्थ गलता (ठोस के आखिरी कण तक) रहता है, तब तक ताप स्थिर रहता है। यदि विशेष दाब नियत रहे।
- हिमांक (Freezing Point)- किसी विशेष दाब पर वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव जमता है, हिमांक कहलाता है।
- सामान्यतः पदार्थ का द्रवणांक एवं हिमांक का मान बराबर होता है। जैसे -बर्फ का द्रवणांक एवं हिमांक 0॰c है।
- अशुद्धियों की उपस्थिति में पदार्थ का हिमांक और द्रवणांक दोनों कम हो जाते है।
- द्रवणांक पर दाब का प्रभाव-
- उन पदार्थों के द्रवणांक दाब बढ़ाने से बढ़ जाते हैं, जिनका आयतन गलने पर बढ़ जाता है। जैसे-मोम, ताँबा आदि।
- उन पदार्थों के द्रवणांक दाब बढ़ाने से घट जाता है, जिनका आयतन गलने पर घट जाता है। जैसे- बर्फ, ढलवाँ लोहा आदि।
- गलने तथा जमने पर आयतन में परिवर्तन (Change of volume in fusion and solidification)- क्रिस्टलीय पदार्थों में से अधिकांश पदार्थ गलने पर आयतन में बढ़ जाते हैं, ऐसी दशा में ठोस अपने ही गल हुए द्रव में डूब जाता है।
- ढला हुआ लोहा, बर्फ, एण्टीमनी, बिस्मथ, पीतल आदि गलने पर आयतन में सिकुड़ते हैं। अतः इस प्रकार के ठोस अपने ही गले द्रव में प्लवन करते रहते हैं। इसी विशेष गुण के कारण बर्फ का टुकड़ा गले हुए पानी में प्लवन करता है।
- साँचे में केवल वे पदार्थ ढ़ाले जा सकते हैं, जो ठोस बनने पर आयतन में बढ़ते है, क्योंकि तभी वे साँचे के आकार को पूर्णतया प्राप्त कर सकते हैं।
- मुद्रण धातु ऐसे पदार्थ के बने होते हैं, जो जमने पर आयतन में बढ़ते हैं।
- चाँदी या सोने की मुद्राएँ ढाली नहीं जातीं, केवल मुहर लगाकर बनायी जाती हैं।
- मिश्र धातुओं का द्रवणांक उन्हें बनाने वाले पदार्थों के गलनांक से कम होता है क्योंकि अशुद्धियाँ डाल देने पर पदार्थ का गलनांक घट जाता है।
- हिमकारी मिश्रण (Freezing mixture)- किसी ठोस को उसके द्रवणांक पर गलने के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होगी जो उसकी गुप्त ऊष्मा होगी। यह ऊष्मा असाधारणतः बाहर से मिलती है, जैसे जल में बर्फ़ का टुकड़ा मिलाने पर बर्फ़ गलेगी, परन्तु गलने के लिए द्रवणांक पर वह जल से ऊष्मा लेगी जिससे जल का तापमान घटने लगेगा और मिश्रण का ताप घट जायेगा। हिमकारी मिश्रण का बनना इसी सिद्धांत पर आधारित है। उदाहरण- घर पर आइसक्रीम जमाने के लिए नमक का एक भाग एवं बर्फ का तीन मिलाया जाता है, इससे मिश्रण का ताप -22॰c प्राप्त होता है।
- वाष्पीकरण (Vaporization)- द्रव से वाश्प में परिणत होने कि क्रिया 'वाष्पीकरण' कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है- वाष्पन (Evaporation), क्वथन (Boiling)
- क्वथनांक से कम तापमान पर द्रव के वाष्प में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को वाष्पन कहते हैं।
- वाष्पन की क्रिया निम्न बातों पर निर्भर करती है-
- क्वथनांक का कम होना- क्वथनांक जितना कम होगा, वाष्पन की क्रिया उतनी ही अधिक तेज़ी से होगी।
- द्रव का ताप- द्रव का ताप अधिक होने से वाष्पन अधिक होगा।
- द्रव के खुले पृष्ठ का क्षेत्रफल -क्षेत्रफल अधिक होने पर वाष्पन तेजी से होगा।
- द्रव के पृष्ठ पर - (अ) द्रव के पृष्ठ पर वायु बदलने पर वाष्पन तेज होगा।
(ब) द्रव के पृष्ठ पर वायु का दाब जितना ही कम होगा वाष्पन उतनी ही तेज़ी से होगा। (स) द्रव के पृष्ठ पर वाष्प दाब जितना बढ़ता जाएगा वाष्पन की दर उतनी ही घटती जाएगी।
- क्वथनांक (Boiling point)- दाब के किसी दिए हुए नियत मान के लिए वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव उबलकर द्रव अवस्था से वाष्प की अवस्था में परिणत हो जाय तो वह नियत ताप द्रव का क्वथनांक कहलाता है।
- दाब बढ़ाने से द्रव का क्वथनांक बढ़ जाता है और दाब घटने से द्रव का क्वथनांक घट जाता
है।