किन्नरी

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किन्नरी एक प्रकार की वीणा का नाम है, जिसका किन्नरी संस्कृत ग्रंथों में उल्लेख हुआ है। अनुमान किया जाता है कि फ़ारस देश से इसका आरम्भ हुआ। भारत में बंगलोर के 'बसवनगुडी मंदिर' में किन्नरी वादक का एक चित्र उत्कीर्णित है।[1]

  • 'संगीत रत्नाकर' ग्रन्थ में इसका विस्तृत वर्णन है, जिसके अनुसार यह तीन तुंबियों पर आधारित दो-ढाई फुट लंबा तंतु वाद्य है।
  • किन्नरी की मझली तुंबी बड़ी और अगल-बगल की छोटी होती है।
  • इस वीणा में दो तार होते हैं, जो एक-दूसरे से कुछ ऊँचाई पर खूँटी से बँधे होते हैं।
  • दाहिने हाथ से तार को छेड़ते हुए बायीं हाथ की उँगली से स्वर स्थान को दबाकर किन्नरी से स्वर बजाया जाता है।
  • आकार के अनुसार किन्नरी के तीन भेद होते हैं-
  1. बृहती
  2. मध्यमा
  3. लध्वी

इन्हें भी देखें: सितार, वीणा, संतूर एवं ढोलक


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. किन्नरी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 18 फ़रवरी, 2014।

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