थिओफ़्रैस्टस

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थिओफ़्रैस्टस (जन्म- 372 ई. पू.; मृत्यु- 287 ई. पू.) ग्रीस देश के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं प्रकृतिवादी थे। इन्होंने अरस्तु के दर्शनशास्त्र का पूरा अनुकरण किया था। प्राचीन तथा मध्य काल में लिखे हुए वनस्पतिशास्त्र के ग्रंथों में इनका बड़ा महत्व है।[1]

जन्म तथा शिक्षा

प्रसिद्ध दार्शनिक एवं प्रकृतिवादी थिओफ़्रैस्टस का जन्म ईसा पूर्व 372 में, लेज़बासॅ द्वीप के 'एरेसस' नामक नगर में हुआ था। लेज़बॉस में ही इन्होंने ल्युसिपस से दर्शनशास्त्र की शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद एथेन्स चले गए। यहाँ पर थिओफ़्रैस्टस का प्लेटो से संपर्क बढ़ा।

अरस्तु से घनिष्ठता

प्लेटो की मृत्यु के पश्चात्‌ थिओफ़्रैस्टस का घनिष्ठ संबंध प्रसिद्ध दर्शनिक अरस्तु से हुआ। कहा जाता है कि थिऔफ्रैस्टस नाम भी, बातचीत के सिलसिले में, अरस्तु का ही दिया हुआ है। अरस्तु अपने वसीयतनामों में थिओफ़्रैस्टस को ही अपने बच्चों का अभिभावक बना गए थे तथा उन्हें अपनी पुस्तकालय और मूल निबंध, लेख आदि सब कुछ सौंप गए थे। अरस्तु के कैलसिस नगर चले जाने के बाद उनके स्थापित विद्यालय के उत्तराधिकारी थिओफ़्रैस्टस हुए। इस पद पर वे 35 वर्ष तक (मृत्यु पर्यंत) रहे। इस विद्यालय में संसार के हर कोने से छात्र आते थे।[1]

रूचि व रचनाएँ

थिओफ़्रैस्टस ने अरस्तु के दर्शनशास्त्र का पूरा अनुकरण किया। उनकी रुचि विशेषकर वनस्पतिशास्त्र एवं प्राकृतिक वस्तुओं, जैसे- अग्नि, वायु आदि की ओर थी। इन्होंने लगभग 200 निबंध एवं लेख, दर्शनशास्त्र, तर्कशास्त्र, क़ानून, पदार्थ विज्ञान, काल्पनिक वस्तुओं, वृक्षों, कविता आदि पर लिखे। इनमें से बहुतों का कोई पता नहीं लगता है। थिओफ़्रैस्टस की मुख्य रचनाओं में वनस्पतिशास्त्र पर लिखे दो निबंध हैं-

  1. 'वनस्पतियों का इतिहास
  2. पौधों के प्रवर्तक

प्राचीन तथा मध्य काल में लिखे हुए वनस्पतिशास्त्र के ग्रंथों में थिओफ़्रैस्टस का बड़ा महत्व है। थिओफ्रैस्टस की एक अन्य रचना में उनके समय के जीवन का सुंदर चित्रण है।

निधन

थिओफ़्रैस्टस की मृत्यु ईसा पूर्व 287 में हुई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 थिओफ़्रैस्टस (हिन्दी) भारतखोज।

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