रामकृष्ण सारदा आंदोलन
रामकृष्ण सारदा आंदोलन रामकृष्ण परमहंस, उनकी साध्वी पत्नी सारदा देवी और स्वामी विवेकानन्द द्वारा कुछ समर्पित और शिक्षित महिलाओं के साथ छोटे पैमाने पर शुरू किया गया आंदोलन था, जिसे सिस्टर निवेदिता का सहयोग प्राप्त था, जो विवेकानंद की अमेरिकी शिष्या थीं और जिनका मूल नाम 'माग्रेट नोबल' था। यह आंदोलन स्वामी विवेकानंद की उस भविष्यवाणी का साकार रूप था कि "एक ऐसा समय आएगा, जब दुनिया भर की स्त्रियां मानवता के आध्यात्मिक विकास में अपना सहयोग देने के लिए स्वेच्छा से उठ खड़ी होंगी।"
शुरुआत
1849 ई. में स्वामी विवेकानन्द इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सांसारिक उत्कृष्टता और आध्यात्मिक बोध सुनिश्चित करने के लिए भारत की महिलाओं को शिक्षित करना होगा। भारतीय स्त्रियों के जागरण के प्रतीकस्वरूप सिस्टर निवेदिता ने 'रामकृष्ण सारदा मिशन सिस्टर निवेदिता बालिका विद्यालय' की स्थापना की। 13 नवंबर, 1898 को काली पूजा के अवसर पर पूज्य माता श्री सारदा देवी ने निवेदिता के विद्यालय का उद्घाटन किया। अगले दिन से विद्यालय मुट्ठी भर छात्राओं के साथ शुरू हो गया और धीरे-धीरे इसने अभिभावकों के आरंभिक विरोध तथा हिचक को समाप्त कर दिया।[1]
विवेकानन्द का विचार
सन 1901 में विवेकानन्द ने स्त्रियों के आश्रम के विचार का प्रतिपादन किया, जिसके लिए उन्होंने 'मठ' शब्द का प्रयोग किया- "पूज्य माता को प्रेरणा का केंद्र बनाकर गंगा के पूर्वी तट पर एक मठ स्थापित किया जाएगा। वहां ब्रह्मचारिणियों और साध्वियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। कालक्रम में ये कुमारी तपस्विनियां मठ में शिक्षिका और प्रशिक्षक बनेंगी। ये ग्रामों और शहरों में केंद्र खोलकर स्त्री शिक्षा के प्रसार का प्रयास करेंगी। विवेकानन्द की मृत्यु के बाद सिस्टर निवेदिता ने उनका सपना साकार करने की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली।
मातृमंदिर की नींव
सिस्टर निवेदिता की मृत्यु वर्ष 1911 में हो गई, लेकिन सारदा देवी द्वारा दीक्षित अन्य समर्पित स्त्रियों ने आंदोलन के प्रति अपना समर्थन जारी रखा। 1914 में 'मातृमंदिर' की नींव रखी गई। स्त्रियों का आश्रम स्थापित करने के विवेकानन्द के सपने को साकार करने की दिशा में यह पहला क़दम था, लेकिन 27 दिसंबर, 1953 को ही सात समर्पित महिला कार्यकर्ताओं को रामकृष्ण मठ और मिशन के तत्कालीन अध्यक्ष स्वामी शंकरानंद द्वारा ब्रह्मचर्य की दीक्षा प्रदान की जा सकी। श्री सारदा मठ का औपचारिक उद्घाटन 1954 में हुआ। स्वामी विवेकानन्द द्वारा बताये गए गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित खंड को 1957 में प्राप्त किया गया।[1]
योगदान
रामकृष्ण सारदा मिशन और मठ में महिलाओं और बच्चों के लिए विद्यालय तथा प्रशिक्षण केंद्र, शिशुगृह, अनाथालय, झोपड़पट्टी के बच्चों के लिए अनौपचारिक विद्यालय व चिकित्सालय हैं। इन केंद्रों पर राहत कार्यों का आयोजन किया जाता है और दर्शन तथा धर्म की कक्षाओं का भी संचालन होता है। 20वीं शताब्दी के अंत तक सारदा मठ के भारत में 12 और ऑस्ट्रेलिया में एक केंद्र था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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