नील आर्मस्ट्रांग

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नील आर्मस्ट्रांग
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नील आर्मस्ट्रांग
पूरा नाम नील आर्मस्ट्रांग
जन्म 5 अगस्त, 1930
जन्म भूमि वापाकोनेता, ओहियो, अमेरिका
मृत्यु 25 अगस्त, 2012
मृत्यु स्थान सिनसिनाटी, ओहियो, अमेरिका
कर्म-क्षेत्र अंतरिक्ष यात्री, अध्यापक
प्रसिद्धि चाँद पर कदम रखने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति
नागरिकता अमेरिकी

नील आर्मस्ट्रांग (अंग्रेज़ी:Neil Armstrong, जन्म: 5 अगस्त, 1930 – मृत्यु: 25 अगस्त, 2012) चाँद पर कदम रखने वाले दुनिया के पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री थे।

जीवन परिचय

स्टीफन आर्मस्ट्रांग और विवियोला इंजेल की प्रथम संतान के रूप में नील आर्मस्ट्रांग का जन्म 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहियो प्रान्त के वापाकोनेता में हुआ। चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग में हवाई यात्राओं के प्रति रूचि बचपन से ही शायद तभी जाग गई जब उनके पिता उन्हें हवाई उड़ानों को दिखलाने ले जाया करते थे। 6 वर्ष की अवस्था में ही इन्हें पिता के साथ अपनी पहली हवाई यात्रा का अनुभव हुआ। मात्र 15 वर्ष की आयु में इन्होने अपना फ्लाईट सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया और विमान उड़ना शुरू किया था। इन्होंने ऐरोनोटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक तथा ऐरोस्पेस इंजीनियरिंग में परास्नातक की उपाधियाँ प्राप्त कीं। इस शिक्षा द्वारा उन्होंने जो विमान संचालन संबंधी तकनीकी कार्यकुशलता प्राप्त की उसका लाभ उन्हें आगामी कई उड़ान अभियानों में मिला। एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में उभरने से पूर्व आर्मस्ट्रोंग संयुक्त राष्ट्र नौसेना के अधिकारी रहे तथा कोरिया युद्ध में भी अपनी सेवाएं दीं। युद्ध के पश्चात वे एक पायलट के रूप में नेशनल एडवाईजरी कमेटी फ़ॉर ऐरोनोटिक्स से जुड़े जहाँ उन्होंने 900 से अधिक उड़ानों का अनुभव प्राप्त किया। जनवरी 1956 में इनका विवाह जेनेट एलिज़ाबेथ शेरॉन से हुआ। 1958 में इनका चयन अमेरिकी वायुसेना के 'मैन इन स्पेस सूनेस्ट (‘Man in Space Soonest‘) कार्यक्रम में हुआ। यह दौर चन्द्रमा से संबंधित अनेक सफल-असफल अभियानों का था। आर्मस्ट्रांग अब तक बार-बार यह प्रदर्शित कर चुके थे कि वे उड़ानों को लेकर कितने समर्पित और दक्ष हैं। इसके साथ ही उनके व्यक्तित्व का एक सुनहरा पक्ष भी उभरकर सामने आया कि वे अपने मिशनों की सफलता में अपने अहम को आड़े नहीं आने देते। उनके चरित्र के इन्हीं मजबूत पक्षों ने चन्द्रमा के लिए बहुप्रतीक्षित ‘अपोलो 11’ उड़ान की कमान उनके हाथों में सौंप दी और अंततः 20 जुलाई 1969 को यान की चंद्रमा के धरातल पर सुरक्षित लैंडिंग हो ही गई। मिशन कंट्रोल रूम को आर्मस्ट्रांग का पहला सन्देश था- Houston, Tranquility Base Here. The Eagle has landed.” 21 जुलाई, 1969 वह ऐतिहासिक दिन था जब मानव ने पहली बार पृथ्वी के बाहर किसी खगोलीय पिंड पर आधिकारिक रूप से अपने कदम रखे। इस मौके पर आर्मस्ट्रांग के विश्वप्रसिद्ध उद्दगार थे – That’s one small step for man, one giant leap for mankind.” ('एक आदमी का छोटा कदम, मानवता के लिए बड़ी छलांग' बताया था।) 20वीं शताब्दी में उनकी यह उक्ति ख़ासी लोकप्रिय हुई थी।

निधन

आर्म्सट्रांग ने 1971 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा छोड़ दिया था और छात्रों को अंतरिक्ष इंजीनियरिंग के बारे में पढ़ाने लगे थे। आर्म्सट्रांग हृदय रोग के निदान के लिए उनका ऑपरेशन किया गया था, लेकिन इसके बाद उनकी हालत और बिगड़ती गई और 25 अगस्त 2012 को अंतत: उन्होंने दम तोड़ दिया। चन्द्रमा को लेकर कई मिथकों और भ्रांतियों से घिरी मानव सभ्यता को आज विज्ञान ने एक नई दिशा दिखाई थी, जो भविष्य में कई अभियानों का आधार बनी।



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