वरणा नामक एक प्राचीन स्थान का उल्लेख पाणिनि[1] में हुआ है। इसको वरण वृक्ष के निकट बताया गया है।
- यह सिन्धु और स्वात नदियों के बीच में स्थित एक स्थान का नाम था।
- आश्वकायनों का निवास इसी भूमि में था।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पाणिनि 4,2,82
- ↑
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 833 |
संबंधित लेख