वितस्ता नदी
वितस्ता कश्मीर तथा पंजाब में बहने वाली झेलम नदी का प्राचीन वैदिक नाम है। संभवत: सर्वप्रथम मुसलमान इतिहास लेखकों ने इस नदी को 'झेलम' कहा, क्योंकि यह पश्चिमी पाकिस्तान के प्रसिद्ध नगर झेलम के निकट बहती थी और नगर के पास ही नदी को पार करने के लिए शाही घाट या शाह गुज़र बना हुआ था। झेलम नगर के नाम पर ही नदी का वर्तमान नाम प्रसिद्ध हो गया।[1]
पौराणिक उल्लेख
'ऋग्वेद' के प्रसिद्ध 'नदीसूक्त'[2] में इसका उल्लेख है-
‘इमं मे गंगे यमुने सरस्वति शुतुद्रि स्तोमं सचता परुष्ण्या असिकन्या मरुदवृधे वितस्तयार्जीकीये श्रृणुह्य सुषोमया।'
- महाभारत के समय यह नदी बहुत पवित्र मानी जाने लगी थी-
'वितस्तां पश्य राजेंद्र सर्वपापप्रमोचनीम् महषिंभिश्चाध्युषितांशीततोययां सुनिर्मलाम्।'[3]
‘नदीं वेत्रवतीं चैव कृष्णवेणां च निम्नगाम्, इरावती वितस्तां च पयोष्णीं देविकामपि।'
- 'श्रीमद्भागवत'[6] में वितस्ता का उल्लेख नाम मरुद्वृधा तथा असिक्नी के साथ है-
‘चंद्रभागा मरुद्वृधा वितस्ताअसिक्नी।'
नामकरण
'वितस्ता' शब्द की व्युत्पत्ति, मोनियर विलियम्स के संस्कृत-अंग्रेज़ी कोश में ‘तंस्’ धातु से बताई गई है, जिसका अर्थ है- 'उड़ेलना'। पानी के अजस्र प्रवाह का नदी रूप में[7] नीचे गिरना-यही भाव इस नदी के नाम में निहित है। वितस्ता नाम का संबंध 'वितस्ति'[8] से भी जोड़ा जा सकता है, जिसका अर्थ ‘विस्तार’ है। वितस्ता को कश्मीर में स्थानीय रूप से 'ब्यथ' और पंजाबी में 'बेहत' या 'बेहट' कहा जाता है। ये नाम वितस्ता के ही अपभ्रंश रूप हैं।
ग्रीक लेखकों ने इसे 'हायडेसपीज'[9] कहा है, जो वितस्ता का रूपांतरण है। नदी का झेलम नाम मुसलमानों के समय का है, जो इस नदी के तट पर बसे हुए 'झेलम' नामक कस्बे के कारण हुआ है। इसी स्थान पर पश्चिम से पंजाब में आते समय झेलम नदी को पार किया जाता था। 'राजतरंगिणी' में उल्लिखित 'वितस्तात्र' नामक नगर शायद वितस्ता के तट पर ही बसा हुआ था।
इन्हें भी देखें: झेलम नदी
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