राजस्थान की हस्तकला
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राजस्थान की हस्तकला पूरे भारत में बहुत प्रसिद्ध है।
- मीनाकारी
- पाॅटरी कला
- आला गिल्ला कारीगरी
- मथैरणा कला
- उस्ता कला
- रंगाई व छपाई कला
- चर्म कला
- मूर्तिकला
- थेवा कला
- टेराकोटा कला
- फड़ चित्रांकन
- रमकड़ा कला उद्योग
- तूडिया हस्तशिल्प
- तारकशी कला
- पिछवाई कला
- कोफ्त गिरी
- काष्ठ कला
- कुंदन कला
- पेचवर्क कला
राजस्थानी साड़ियाँ
- फूल-पत्ती की छपाई वाली साड़ियाँ- जोबनेर (जयपुर) में बनाई जाती हैं।
- स्प्रे पेन्टिंग्स की साड़ियाँ - नाथद्वारा (राजसमंद) में बनाई जाती हैं।
- सानिया साड़ियाँ - जालौर में बनाई जाती हैं।
- सूंठ की साड़ियाँ - सवाई माधोपुर में बनाई जाती हैं।
- बंधेज की साड़ियाँ - जोधपुर में बनाई जाती हैं।
- चुनरी, लहरिया व पोमचे - जयपुर में बनाई जाती हैं।
बन्धेज का कार्य
- बन्धेज के कार्य के लिए जयपुर व जोधपुर प्रसिद्ध है।
- लहरिया, चुनरी व पौमचे जयपुर के प्रसिद्ध है।
- सर्वोत्तम किस्म की बन्धेज के लिए शेखावटी क्षेत्र प्रसिद्ध हैं
- साफा -
- बावरा:- पांच रंग युक्त बन्धेज का साफा।
- मोठडा - दो रंग युक्त बंधेज का साफा।
कढ़ाई एवं कसीदाकारी का कार्य
- इस कार्य के लिए शेखावटी क्षेत्र प्रसिद्ध है।
- कपड़े पर कांच की कढ़ाई के लिए जैसलमेर, बाड़मेर प्रसिद्ध है।
ज़री-गोटे का कार्य
- ज़री-गोटे के कार्य के लिए जयपुर प्रसिद्ध है।
- गोटा-किनारी की बल्कि शैली के लिए खण्डेला (सीकर) प्रसिद्ध है।
- गोटे के प्रकार - लप्पा, लप्पी, लहर, किरण, गोखरू बांकडी, नक्षी, सितारा दबका आदि।
गलीचे, नमदे व दरियां
- गलीचों के लिए जयपुर प्रसिद्ध है।
- बीकानेर जेल में वियना तथा फारसी डिजाइन में गलीचे तैयार किए जाते है, जो विष्व प्रसिद्ध है।
- नमदों के लिए टोंक प्रसिद्ध है।
- अजमेर, टोंक, नागौर, जोधपुर ज़िले दरियों के लिए प्रसिद्ध है।
- गांव - सालावस (जोधपुर), टाकला (नागौर), लवाण (दौसा) दरी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
- खेस के लिए चैमूं (जयपुर) प्रसिद्ध है।
- खेसला के लिए लेटाग्राम (जालौर) प्रसिद्ध है।
- लेटागांव को सौ बुनकरों का गांव कहते हैं।
कुट्टी / पेपर पेशी
- कुट्टी / पेपर मेशी कार्य के लिए सांगानेर (जयपुर) प्रसिद्ध है।
अन्य हस्त कलाएँ
- तलवार निर्माण - सिरोही
- खेल का सामान - हनुमानगढ़
- कृषि यंत्र - गजसिंहपुर, सांगरिया
- आधुनिक कृषि यंत्र - कोटा
- गरासियों की फाग- सोजत (पाली)
- मेहंदी - सोजत (पाली)
- छाते- फालना (पाली)
- डूंगरशाही ओढनी - जोधपुर
- नान्दणे (कलात्मक घाघरे) -भीलवाडा
- पाव रजाई -जयपुर
- संगमरमर की मूर्तियां - जयपुर व किषोरी गांव (अलवर)
- पशु-पक्षियों का सैट - जयपुर
- कठपुतली निर्माण -उदयपुर
- ऊनी बरड़ी/पट्टू - जैसलमेर
- ऊनी लोई - नापासर (बीकानेर)
- सुराही, मटके -रामसर (बीकानेर)
- बादला नामक बर्तन (जिंक निर्मित)- जोधपुर
- लाख का सामान - जोधपुर, उदयपुर, जयपुर
- काली, लाल व हरी चूडियां - जोधुपर
- हाथी दांत की चूडिंया - जयपुर
- चांदी का कार्य - बीकानेर
- सुक्ष्म चित्रण (मिनिएचर पेंटिंग्स) - जयपुर, किषनगढ़
- धातू के कार्य के लिए - नागौर
- पीतल पर मुरादाबादी षैली का कार्य - जयपुर
- कांसे के बर्तन - भीलवाडा
- गोल्डन पेंटिग्स - नागौर
- लकड़ी के झुले - जोधपुर
- लकडी के फर्नीचर पर चित्रकारी - जोधपुर
- चंदन काष्ठ कला - मल्यागिरी का कार्य - चूरू। कारीगर - चैथमल
- मृण मूर्तियां - मोलेला (राजसमंद)
- बकरी के बालो की जट पटिृयां - जसोल (बाड़मेर)
शिल्प ग्राम
राजस्थान राज्य के दो शिल्पग्राम निम्नलिखित हैं-
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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