भूलाभाई देसाई

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भूलाभाई देसाई प्रख्यात विधिवेत्ता, प्रमुख संसदीय नेता तथा महात्मा गांधी के विश्वस्त सहयोगी थे। आरंभिक जीवन में भूलाभाई देसाई ने अहमदाबाद स्थित गुजराज कॉलेज में अर्थशास्त्र तथा इतिहास विषयक प्राध्यापक का भी कार्य किया था।

जीवन परिचय

भूलाभाई देसाई का जन्म सूरत जिले के बलसर में हुआ था। विधि विशेषज्ञता आपको विरासत में मिली। आपके पिता सरकारी वकील थे। प्रत्युत्पन्नमतित्व तथा निर्भीक उक्तियाँ आपकी उल्लेख्य विशेषताएँ थी। बंबई के एलफिंस्टन तथा सरकारी लॉ कॉलेज में कानून की उच्च शिक्षा प्राप्त की। बाद में उच्च न्यायालय के अधिवेत्ता बने। विशिष्ट विधि विशारद होने के कारण आपको अल्पकाल में ही धन तथा यश की प्राप्ति हुई। राजनीति के क्षेत्र में सर्वप्रथम माडरेटों के साथ, तदनंतर होम रूल लीग में और अंत में कांग्रेस में आए। महात्मा गांधी की प्रेरणा तथा निर्देश से प्रभावित होकर स्वाधीनता आंदोलन में प्रमुखता से भाग लिया। गुजरात के किसानों को कानूनी सहायता देकर स्वराज्य आंदोलन को नवीन शक्ति प्रदान की। इस दिशा में वह कार्यो के फलस्वरूप ही ब्रमफील्ड प्रतिवेदन में किसानों की कठिनाइयों को कम करने की संस्तुति की गई।[1]

क्रांतिकारी गतिविधियाँ

सन्‌ 1930 के स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने के कारण आपको एक वर्ष का कारावास तथा दस हजार रुपये जुर्माने का दंड मिला। इसके बाद के सभी प्रमुख कांग्रेसी आंदोलनों में वह भाग लेते रहे। केंद्रीय धारा सभा में कांग्रेस दल के नेता के रूप में इनका कार्य ऐतिहासिक महत्व का है। आपके तीखे तथ्य पूर्ण भाषण सरकारी पक्ष को हतप् रभ कर देते थे। उनमें ऐसी अनोखी सूझबूझ थी। जिसके फलस्वरूप वह महत्वपूर्ण बिलों पर मुसलिम पार्टी को साथ लेकर सरकारी पक्ष को पराजित कर देते थे। केंद्रीय धारा सभा में उनकी संसदीय प्रतिभाश तथा असाधारण क्षमता अप्रतिम मानी जाती थी।।

कीर्ति

आजाद हिंद फौज के सेनापति श्री शहनवाज, ढिल्लन तथा सहगल पर राजद्रोह के मुकदमें में सैनिकों का पक्षसमर्थन आपने जिस कुशलता तथा योग्यता से किया, उससे उनकी कीर्ति देश में ही नहीं, विदेश में भी फैल गई।

व्यक्तित्व

उनमें प्रतिपक्षी पर प्रबल प्रहार कर उसे निरस्त्र कर देने की असाधारण और अद्भुत क्षमता थी। यही कारण है कि उनके पास प्राय: अत्यंत गंभीर कानूनी उलझनों के मुकदमे आया करते थे। देश के ख्यातिलब्ध विधिज्ञों में उनका प्रमुख स्थान है। संसदीय नेतृत्व के उनमें अनुपम गुण थे। कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में नौकरशाही उनसे सदा आतंकित रहती थी। अँग्रेजी भाषा पर उनका असाधारण अधिकार था। आपके भाषणों में तथ्यों, तर्कों तथा व्यंग्य विनोदपूर्ण उक्तियों का प्रभावोत्पादक संयोजन रहता था। इस संबंध में देसाई लियाकत समझौते का विशेष महत्व है। आपके व्याख्यानों तथा विचारों का संग्रह पुस्तकाकार प्रकाशित हुआ है। आरंभिक जीवन में भूलाभाई देसाई ने अहमदाबाद स्थित गुजराज कालेज में अर्थशास्त्र तथा इतिहास विषयक प्राध्यामक का भी कार्य किया था।[2][1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 भूलाभाई देसाई (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 19 जुलाई, 2015।
  2. लक्ष्मीशंकर व्यास


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