रहिमन चुप हो बैठिये -रहीम
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥
- अर्थ
जब बुरे दिन आए हों तो चुप ही बैठना चाहिए, क्योंकि जब अच्छे दिन आते हैं तब बात बनते देर नहीं लगती।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख