मन मोती अरु दूध रस -रहीम
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मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥
- अर्थ
मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक सहज और सामान्य रहते हैं तो अच्छे लगते हैं परन्तु यदि एक बार वे फट जाएं तो करोड़ों उपाय कर लो वे फिर वापस अपने सहज रूप में नहीं आते।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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