रहिमन नीचन संग बसि -रहीम
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‘रहिमन’ नीचन संग बसि, लगत कलंक न काहि।
दूध कलारिन हाथ लखि, सब समुझहिं मद ताहि॥
- अर्थ
नीच लोगों का साथ करने से भला कौन कलंकित नहीं होता है। कलारिन (शराब बेचने वाली) के हाथ में यदि दूध भी हो, तब भी लोग उसे शराब ही समझते हैं।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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