निज कर क्रिया रहीम कहि -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:37, 19 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> निज कर क्रिया ‘रहीम’ कहि, सिधि भावी के हाथ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

निज कर क्रिया ‘रहीम’ कहि, सिधि भावी के हाथ ।
पाँसा अपने हाथ में, दाँव न अपने हाथ ॥

अर्थ

कर्म करना तो अपने हाथ में है, पर उसकी सफलता दैव के हाथ में है। देख लो न चौपड़ के खेल में– पांसा अपने हाथ में है, पर दाँव अपने हाथ में नहीं।


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख