बड़ माया को दोष यह -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:48, 20 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> बड़ माया को दोष यह , जो कबहूं घटि जाय ।<br /> तो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

बड़ माया को दोष यह , जो कबहूं घटि जाय ।
तो ‘रहीम’ मरोबो भलो, दुख सहि जियै बलाय ॥

अर्थ

धन सम्पत्ति का बहुत बड़ा दोष यह है :- यदि वह कभी घट जाय, तो उस दशा में मर जाना ही अच्छा है। दुःख झेल-झेलकर कौन जिये ?


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख