भावी काहू ना दही -रहीम

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भावी काहू ना दही, भावी-दह भगवान् ।
भावी ऐसी प्रबल है, कहि ‘रहीम’ यह जान ॥

अर्थ

भावी अर्थात् प्रारब्ध को कोई नहीं जला सका, उसे जला देने वाला तो भगवान् ही है। समझ ले तू कि भावी कितनी प्रवल है। भगवान् यदि बीच में न पड़ें तो होनहार होकर ही रहेगी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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