संतत संपति जान के -रहीम

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संतत संपति जान के , सब को सब कछु देत ।
दीनबंधु बिनु दीन की, को ‘रहीम’ सुधि लेत ॥

अर्थ

यह मानकर कि सम्पत्ति सदा रहने वाली है, धनी लोग सबको जो माँगने आते हैं, सब कुछ देते हैं। किन्तु दीन-हीन की सुधि दीनबन्धु भगवान् को छोड़ और कोई नहीं लेता।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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