छत्तीसगढ़ राज्य की नदियाँ

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नदियाँ जीवनदायिनी होती हैं। किसी भी राष्ट्र या राज्य के सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, भौतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास में इनका प्रमुख स्थान है। नदियाँ पेयजल, सिंचाई और परिवहन का प्रमुख स्रोत रही हैं, जिसके कारण आदिकाल से ही सभ्यताओं का विकास नदियों किनारे स्थित है। नदियों से भूमि के ढाल के विषय में जानकारी प्राप्त होती है किसी राज्य का अपवाह तन्त्र वहाँ के उच्चावच एवं भूमि के ढाल पर निर्भर करता है। ये नदियाँ अपने प्रवाह के साथ विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण तत्व लाकर अपने तटों पर बिछा देती हैं, जो तत्व कृषि में बहुत ही सहायक होते हैं।

इस प्रकार नदियों के द्वारा अनेक प्रकार की प्रवाह प्रणालियों का विकास होता है, जो भूतल के ढाल, संरचना एवं प्रवाह के आकार एवं उसके वेग पर निर्भर करता है। छत्तीसगढ़ राज्य अनेक नदियों का उदगम स्थल है। यह देश के विस्तृत एवं बड़े प्रवाह तन्त्र गंगा, नर्मदा, गोदावरी, महानदी से सम्बद्ध है, किन्तु महानदी यहाँ का प्रमुख क्रम है, जिसका जलग्रहण क्षेत्र प्रदेश के क्षेत्रफल का लगभग 55% है। यद्यपि गोदावरी जिसके जलग्रहण क्षेत्र के अंतर्गत लगभग समस्त दण्डकारण्य का तथा गंगा जिसमें सोन के द्वारा अधिकतर बघेलखण्ड का जल निकास होता है, प्रदेश के क्रमशः दूसरे व तीसरे क्रम के बड़े प्रवाह क्रम हैं। छत्तीसगढ़ राज्य देश के मध्य-पूर्व में स्थित है। भौगोलिक संरचना के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य को मुख्यतः चार नदी कछारों में बाँटा जा सकता है, जिसमें प्रदेश की नदियाँ सम्मिलित हैं-

  1. महानदी प्रवाह प्रणाली
  2. गोदावरी प्रवाह प्रणाली
  3. गंगा नदी प्रवाह प्रणाली
  4. नर्मदा प्रवाह प्रणाली


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