अर्थ |
जिसका अन्त न हो, जो कभी समाप्त न हो, अन्त-रहित, नित्य, शाश्वत। | | व्याकरण |
विशेषण, पुल्लिंग- परमात्मा, आकाश, शेषनाग या शेषनाग का अवतार- लक्ष्मण/बलाराम, भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को दाहिनी भुजा में धारण की जाने वाली विशेष प्रकार के रेशमी/सूती धागों की एक रचना,उक्त रचना। | | उदाहरण |
अनन्त काल, अनन्त आकाश, अनन्त सागर, राजा ने कवि को अनन्त धन दिया। | | विशेष |
गणित में 'अनन्त श्रेढ़ी/श्रेणी' का अर्थ है वह श्रेढ़ी/श्रेणी जिसमें पदों की संख्या अनन्त हो। जैसे- 1+1/2+1/4+1/8+........∞ | | विलोम |
सान्त | | संस्कृत |
अन्+अन्त | | सभी लेख | |
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