मारुतसुत तब मारुत करई

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
दीपिका वार्ष्णेय (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:50, 23 जून 2016 का अवतरण ('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
मारुतसुत तब मारुत करई
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड उत्तरकाण्ड
नारदजी का आना और स्तुति करके ब्रह्मलोक को लौट जाना
दोहा

तेहिं अवसर मुनि नारद आए करतल बीन।
गावन लगे राम कल कीरति सदा नबीन॥50॥

भावार्थ

उसी अवसर पर नारद मुनि हाथ में वीणा लिए हुए आए। वे श्री रामजी की सुंदर और नित्य नवीन रहने वाली कीर्ति गाने लगे॥50॥


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
मारुतसुत तब मारुत करई
आगे जाएँ
आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख